कन्नौज सीट पर आखिरी वक्त में SP ने क्यों बदला कैंडिडेट? जानिए अखिलेश के लिए यह जंग आसान या मुश्किल
AajTak
समाजवादी पार्टी ने दो दिन पहले ही मुलायम सिंह यादव के पोते तेज प्रताप को कन्नौज से उम्मीदवार बनाया था. 25 अप्रैल को कन्नौज में नामांकन का आखिरी दिन है. ऐसे में नामांकन से ठीक पहले अखिलेश यादव को अपना मन क्यों बदलना पड़ा.
राजनीति में 48 घंटे का वक्त बहुत बड़ा होता है. सियासत का ये सबक कन्नौज से चुनाव लड़ते-लड़ते रह गए तेज प्रताप से बेहतर कौन जानेगा? जिन्हें हटाकर अब खुद अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) कन्नौज की लड़ाई में उतर गए हैं. दोपहर में अखिलेश यादव ने कन्नौज से लड़ने का संकेत दिया और शाम होते-होते समाजवादी पार्टी ने एक और सीट पर उम्मीदवार बदल दिया.
अखिलेश ने कन्नौज से चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा कि जब नॉमिनेशन होगा तो आप को खुद पता चल जाएगा और हो सकता है कि नॉमिनेशन से पहले आपको जानकारी होगी.
क्यों इतने कन्फ्यूज हैं अखिलेश यादव?
समाजवादी पार्टी भले ही कन्फ्यूजन से इनकार करे लेकिन इस बार अखिलेश की पार्टी ने बार-बार उम्मीदवार बदलने में सबको पीछे छोड़ दिया है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि अखिलेश यादव इतने कनफ्यूज क्यों हैं?
समाजवादी पार्टी ने 4 सीटों पर 2 बार प्रत्याशी बदला, जिसमें गौतम बुद्ध नगर, मिश्रिख मेरठ और बदायूं शामिल है. वहीं 9 सीट पर वो एक बार प्रत्याशी बदल चुके हैं, इसमें मुरादाबाद, रामपुर, बिजनौर, बागपत, सुल्तानपुर, वाराणसी (गठबंधन के कारण) और कन्नौज जैसी सीटें शामिल हैं. समाजवादी पार्टी ने अखिलेश के चुनाव लड़ने की चर्चा पर विराम लगा दिया था लेकिन अचानक अखिलेश ने इस मामले को ट्विस्ट दे दिया. सवाल ये है कि 48 घंटों के अंदर ऐसा क्या हुआ, जिससे समाजवादी पार्टी को कन्नौज से प्रत्याशी बदलना पड़ा?
यह भी पढ़ें: कन्नौज से खुद क्यों उतरे अखिलेश यादव?
तीन-दिवसीय नेपाल दौरे पर CJI चंद्रचूड़, जुवेनाइल जस्टिस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में लिया हिस्सा
CJI जस्टिस चंद्रचूड़ ने राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि आर्थिक असमानता, घरेलू हिंसा और गरीबी जैसे कारणों से ही बच्चे अक्सर अपराधी व्यवहार के लिए प्रेरित होते हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पूरे भारत में बोर्स्टल स्कूलों की स्थापना एक ऐसा विकास है जो सुधारात्मक संस्थाएं थीं.
अरविंदर सिंह लवली के पॉलिटिकल करियर की बात करें तो वह कांग्रेस की दिल्ली इकाई में सबसे खास नामों में से एक रहे हैं. एक दौर में अरविंदर सिंह लवली सबसे कम उम्र के विधायक थे, जब वह पहली बार 1998 में गांधी नगर सीट से दिल्ली विधानसभा के लिए चुने गए थे. वह साल 2015 तक इस निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते रहे.