
कठुआ हमले में सेना ने दिया बहादुरी का परिचय, 5,189 राउंड गोलियां दाग आतंकियों को खदेड़ा
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जम्मू क्षेत्र के कठुआ जिला मुख्यालय से करीब 150 किलोमीटर दूर बदनोटा गांव के पास मचेड़ी-किंदली-मल्हार पहाड़ी मार्ग पर आतंकवादियों ने सेना के दो वाहनों पर गोलीबारी की. भारी गोलीबारी का सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया.
जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले में हुए आतंकवादी हमले के दो दिन बाद सैन्य अधिकारियों ने घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी. इस हमले में पांच जवान शहीद हो गए और पांच घायल हो गए. अधिकारियों ने कहा कि जब भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों ने उनके काफिले पर घात लगाकर हमला किया तो 22 गढ़वाल रेजिमेंट के जवान आश्चर्यचकित हो गए, लेकिन उन्होंने तुरंत ही खुद को संभाल लिया. उन्होंने अपने घायल साथियों की रक्षा के लिए 5,100 से अधिक राउंड गोलियां चलाईं और आतंकवादियों को कठुआ की पहाड़ियों में भागने पर मजबूर कर दिया. अतिरिक्त बलों के पहुंचने से पहले दो घंटे से अधिक समय तक लगातार गोलीबारी हुई.
जम्मू क्षेत्र के कठुआ जिला मुख्यालय से करीब 150 किलोमीटर दूर बदनोटा गांव के पास मचेड़ी-किंदली-मल्हार पहाड़ी मार्ग पर आतंकवादियों ने सेना के दो वाहनों पर गोलीबारी की. भारी गोलीबारी का सैनिकों ने मुंहतोड़ जवाब दिया.
घात लगाकर बैठे थे आतंकी अधिकारी घटनास्थल पर मौजूद साक्ष्यों, खून से सने हेलमेट, गोलियों के खोखे और टूटी विंडस्क्रीन और पंचर टायरों वाले वाहनों की जांच कर रहे हैं. साथ ही घायल सैनिकों से बात कर यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि 8 जुलाई की दोपहर को किस तरह की घटना हुई. एक अधिकारी ने बताया कि माना जा रहा है कि आतंकवादी तीन लोगों के समूह में थे और उन्होंने दो अलग-अलग स्थानों पर घात लगाकर वाहनों और सेना के जवानों को निशाना बनाया.
सेना ने 5,189 राउंड गोलियां दागी यह हमला एक महीने में जम्मू में हुआ पांचवां हमला है और कश्मीर घाटी की तुलना में अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण इलाके में हुआ है. हमला दोपहर करीब साढ़े तीन बजे शुरू हुआ. एक अधिकारी ने न्यूज एजेंसी को बताया कि कठिन शारीरिक और मानसिक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, भारतीय सेना के गढ़वाल रेजिमेंट के जवानों ने आतंकवादियों पर 5,189 राउंड की गोलीबारी की, जिससे उन्हें घटनास्थल से भागने पर मजबूर होना पड़ा. घायल जवानों का पठानकोट के सेना अस्पताल में इलाज चल रहा है. इनमें राइफलमैन कार्तिक सिंह भी शामिल हैं.
आतंकवादियों के दागे गए ग्रेनेड के छर्रे से उनका दाहिना हाथ कई जगहों पर छिल गया था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने बाएं हाथ से तब तक गोलीबारी करते रहे, जब तक उनका हथियार जाम नहीं हो गया.
एक अधिकारी ने कहा, 'गंभीर चोटों के बावजूद भी सैनिकों ने अपनी ड्यूटी के प्रति अटूट बहादुरी और निस्वार्थ समर्पण का परिचय दिया.' उन्होंने कहा, 'सटीक और निरंतर जवाबी फायरिंग ने आतंकवादियों में दहशत पैदा कर दी और उन्हें पीछे हटने पर मजबूर होना पड़ा, तथा क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए अतिरिक्त बल की आवश्यकता पड़ी.' यह साहस की कहानियों में से एक है.

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