उत्तर प्रदेश चुनाव: जिन सीटों पर कांटे की टक्कर, वहां क्या रणनीति बना रहे हैं BJP और SP
BBC
उत्तर प्रदेश में कुछ ऐसी सीटें हैं जहां पिछले विधानसभा चुनावों में हार-जीत का फ़ैसला चंद वोटों से हुआ था. राजनीतिक दल इस बार इन सीटों के लिए क्या योजना बना रहे हैं, पढ़िए
बात 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की है. सिद्धार्थनगर ज़िले की डुमरियागंज विधानसभा सीट पर राघवेंद्र प्रताप सिंह भाजपा के उम्मीदवार थे. मतगणना के दिन आखिरी वक़्त तक राघवेंद्र प्रताप सिंह नतीजों को लेकर असमंजस में थे, आखिरकार परिणाम आए तो उन्हें सिर्फ 171 मतों से जीत हासिल हुई.
दूसरी तरफ बहुजन समाज पार्टी की उम्मीदवार सैय्यदा ख़ातून की किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया. उन्हें इस बात का जरा भी अंदाजा नहीं था कि वो 171 मतों से हार जाएंगी.
डुमरियागंज मुस्लिम बहुल सीट है. यहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या डेढ़ लाख से ज्यादा है.
बीबीसी से बातचीत में सैय्यदा ख़ातून बताती हैं, ''पिछले चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक साथ लड़े थे. इस विधानसभा सीट पर कांग्रेस को ब्राह्मण समाज के करीब 8-10 हजार वोट हर चुनाव में पड़ते हैं. वो सारे वोट समाजवादी पार्टी को ना जाकर सीधे भाजपा को चले गए. अगर कांग्रेस अकेले चुनाव लड़ती तो मैं आसानी से चुनाव जीत जाती''.
उन्हें मात देने वाले राघवेंद्र प्रताप ने बीबीसी से कहा, ''पिछले चुनाव में लोगों को लग रहा था कि मैं तीसरे नंबर का उम्मीदवार हूं. करीब बीस हजार ऐसे वोट थे जो लोगों ने सिर्फ इसलिए नहीं दिए कि मैं हार रहा हूं, इसलिए भी जीत हार का अंतर काफी कम रहा. इस चुनाव में मैं बड़े अंतर से डुमरियागंज विधानसभा सीट से जीत दर्ज करूंगा''