उत्तर प्रदेश चुनाव: किसी के लिए 'डर' का तो किसी के लिए 'तगड़ा' है माहौल
BBC
चुनाव से पहले चार शहरों के विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे लड़के-लड़कियों ने बताया क्या है उनकी ज़िंदगी पर प्रदेश की राजनीति का असर.
"राष्ट्रवाद और विकासवाद के नाम पर एक खास समुदाय को टारगेट किया जा रहा है, ऐसा माहौल है कि विश्वविद्यालय की कैन्टीन में हिंदू और मुसलमान स्टूडेन्ट्स साथ बैठकर खाना खाने में संकोच कर रहे हैं."
ये राय थी उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पत्रकारिता की पढ़ाई कर रहे वैभव कुमार सिंह की. पर ये उनकी अकेली राय नहीं थी.
सरकार के विकास कार्यक्रमों की, गांवों में बढ़ी बिजली सप्लाई की तारीफ़ करनेवाले कई थे, पर आलोचना भी काफ़ी हुई.
बढ़ते एनकाउन्टर, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी और महिला असुरक्षा के अलावा 'मज़हब के नाम पर नफ़रत' के माहौल पर लंबी बात हुई.
छात्रों की इसी बेबाकी की वजह से उन्हें मिलना आसान नहीं था. संस्थागत स्तर पर बहुत ज़्यादा झिझक मिली. ना बोलने या नापतौल कर बोलने का कोई सरकारी फ़रमान नहीं था, पर एक समझ कई जगह दिखी.