UP: 2024 से पहले का 'टेस्ट मैच' होंगे म्युनिसिपालिटी चुनाव, सभी पार्टियां जुटी तैयारियों में
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उत्तर प्रदेश में नगर निकाय (म्युनिसिपालिटी) चुनावों का बिगुल बज चुका है. क्या बड़ा और क्या छोटा, सभी राजनीतिक दल इन चुनावों की तैयारी में जुट गए हैं. वजह भी साफ है, सभी पार्टियां इन चुनावों को 2024 के आम चुनाव से पहले का टेस्ट मैच मानकर चल रही हैं और सभी कमर कस पर चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं.
देश में इन दिनों एशिया कप का खुमार छाया हुआ है. वहां टीम इंडिया खेल के मैदान में झंडे गाढ़ रही है, वहीं उत्तर प्रदेश में सभी पार्टियां राजनीति की पिच पर खेलने की जबरदस्त तैयारियों में जुटी हैं. वजह साफ है, उत्तर प्रदेश में नवंबर के आखिर तक नगर निकायों (म्युनिसिपालिटी) के चुनाव होने हैं और सभी राजनीतिक दलों के लिए ये 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक 'टेस्ट मैच' की तरह होने वाला है. तभी तो क्या छोटे और क्या बड़े, सभी दलों ने अपनी कमर इन चुनावों के लिए कस ली है.
उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले नगर निकाय चुनाव के लिए पार्टियों ने अपना दमखम भरना शुरू कर दिया है. छोटे-छोटे दल भी इन चुनावों को उत्तर प्रदेश का बड़ा चुनाव मानकर चल रहे हैं. माना जा रहा है कि इनमें पार्टियां जिस हिसाब से अपना परफॉर्मेंस दिखाएंगी, वह 2024 के आम चुनाव की रुपरेखा तैयार करने में काम आएगा.
सूबे की सत्ता संभाल रही BJP पूरे जोर-शोर से इन चुनावों में उतरेगी. बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी का कहना है कि बीजेपी का संगठन मजबूत है. उसके कार्यकर्ता एकजुट हैं. ऐसे में कोई भी चुनाव हो बीजेपी अच्छा प्रदर्शन करेगी. कोई भी दल हो सभी जातीय समीकरण पर काम करती हैं. बीजेपी का वोट बैंक लाभार्थी है, जातीय नहीं, तो उसका वोट बैंक कहीं नहीं जाएगा. बाकी दल अपनी अपनी जाति के लिए लड़ रहे हैं.
मायावती की लीडरशिप वाली बीएसपी इस बार पहले नगर निकाय चुनाव में दम दिखाएगी. बीएसपी के नेता इरशाद आलम के मुताबिक, हाथी इस बार नगर निकाय चुनाव में अपनी जीत हासिल करने के लिए लड़ेगा. आने वाले 2024 के चुनावों की जमीन इन्हीं चुनावों से तैयार होगी.
आरएलडी, निकाय चुनाव में समाजवादी पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ेगी. जबकि हाल में हुए विधानसभा चुनावों में दोनों पार्टियों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था. इसके बाद पार्टी आगे 2024 में फिर अपनी ताकत का प्रदर्शन करेगी.
सूबे के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ने भी म्युनिसिपालिटी चुनावों के लिए अपनी तैयारियां कर ली है. पार्टी प्रवक्ता अनुराग भदौरिया के मुताबिक, इसके लिए जमीन तैयार कर ली गई है.सपा ही सत्ता दल के सामने सबसे बड़ी पार्टी है, जो उसे मात दे सकती है. निकाय चुनाव में सपा जीत का परचम लहराएगी और फिर 2024 में समाजवादी जमीन फतेह करेगी.
पुणे पोर्श कार हादसे में क्राइम ब्रांच ने एक्शन लेते हुए आरोपी नाबालिग की मां को भी हिरासत में ले लिया है. नाबालिग आरोपी की मां शिवानी अग्रवाल ने बेटे के ब्लड सैंपल से ना केवल छेड़छाड़ की थी बल्कि इसे बदल भी दिया था. जैसे ही यह खबर सामने आई तो शिवानी अंडरग्राउंड हो गई. फाइनली पुणे पुलिस ने उसे खोज निकाला है. वह कल रात वह मुंबई से पुणे आई थी. गिरफ्तारी की औपचारिकताएं जल्द ही पूरी होंगी.
चुनाव आयोग ने हर उम्मीदवार के चुनावी खर्च की सीमा तय कर रखी है. लोकसभा चुनाव में हर उम्मीदवार 95 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है. जबकि, विधानसभा चुनाव में ये सीमा 28 लाख से लेकर 40 लाख रुपये तक है. अरुणाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्यों में लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार 75 लाख और विधानसभा चुनाव में 28 लाख रुपये खर्च कर सकता है.
बाइडेन ने व्हाइट हाउस में कहा कि हर कोई जो शांति चाहता है, उन्हें अपनी आवाज उठानी चाहिए. अब समय आ गया है कि इस जंग को खत्म कर दिया जाए. उन्होंने दोनों पक्षों के नेताओं से आह्वान किया है कि इस मौके को मत गंवाए. बाइडेन के मुताबिक, इस प्रस्तावित शांति योजना के पहले चरण में छह हफ्तों का सीजफायर शामिल है, जिस दौरान इजरायल और हमास सात अक्तूबर के हमले के बाद से शुरू हुई जंग को खत्म करने पर चर्चा करेंगे.