
Sedition law: 6 साल में 326 केस दर्ज, सिर्फ 6 दोषी करार, असम में सबसे ज्यादा मामले दर्ज
AajTak
Sedition law: राजद्रोह कानून के तहत पिछले छह सालों में देश में कुल 326 मामले दर्ज हुए हैं. इसमें से सिर्फ छह को सजा सुनाई गई है. राजद्रोह के सबसे ज्यादा मामले असम में दर्ज हुए.
Sedition Law: राजद्रोह मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई हुई. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने राजद्रोह के तहत नए मामले दर्ज करने पर फिलहाल रोक लगा दी और केंद्र सरकार से इसपर फिर से विचार करने को कहा. इस बीच अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे इस कानून के तहत दर्ज केसों पर भी निगाह डालनी चाहिए. बता दें कि 2014 से 2019 के बीच कुल 326 लोगों पर राजद्रोह का मामला दर्ज किया गया. लेकिन इनमें से सिर्फ 6 ही लोगों को अबतक दोषी ठहराया जा सका है.
गृह मंत्रालय के मुताबिक, 2014 से 2019 के बीच कुल राजद्रोह के कुल 326 केस रजिस्टर किये गए. इसमें से सबसे ज्यादा मामले असम (54 केस) में दर्ज हुए. कुल दर्ज मामलों में से 141 केसों में चार्जशीट दायर हुई है. वहीं सिर्फ छह लोगों को दोषी ठहराया जा सका है.
यह भी पढ़ें - Sedition Law: राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक, पुनर्विचार तक नहीं दर्ज हो सकेंगे नए केस
- असम की बात करें तो यहां राजद्रोह के सबसे ज्यादा 54 मामले दर्ज हुए. इसमें से 26 केसों में चार्जशीट दायर हुई और 25 केसों में ट्रायल पूरा हुए. लेकिन इन छह सालों में एक भी आरोपी को दोषी सिद्ध नहीं किया जा सका.
- राजद्रोह के मामले दर्ज करने के मामले में दूसरा नंबर झारखंड का है. वहां Section 124 (A) (राजद्रोह) के तहत छह सालों में 40 केस दर्ज हुए. इसमें से 29 केसों में चार्जशीट दाखिल हुई. वहीं 16 केसों का ट्रायल पूरा हो. कुल 40 केसों में से अबतक सिर्फ एक को दोषी ठहराया जा सका है.
- तीसरे नंबर पर हरियाणा है. यहां राजद्रोह के 31 केस दर्ज हुए. इनमें से 19 केसों में चार्जशीट हुई और छह का ट्रायल पूरा हुआ. यहां भी सिर्फ एक को अबतक दोषी ठहराया जा सका है.

जम्मू-कश्मीर के 711 अग्निवीर आज भारतीय सेना का हिस्सा बन गए हैं. श्रीनगर स्थित जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट सेंटर में इन्हें कठोर प्रशिक्षण दिया गया, जिसके बाद ये अग्निवीर देश की सुरक्षा के लिए सीमाओं पर तैनात होंगे. इससे न केवल भारतीय सेना की क्षमता में वृद्धि हुई है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा भी मजबूत हुई है.

देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने शुक्रवार को अपने एक साल का सफर तय कर लिया है. संयोग से इस समय महाराष्ट्र में स्थानीय निकायों के चुनाव चल रहे हैं, जिसे लेकर त्रिमूर्ति गठबंधन के तीनों प्रमुखों के बीच सियासी टसल जारी है. ऐसे में सबसे ज्यादा चुनौती एकनाथ शिंदे के साथ उन्हें बीजेपी के साथ-साथ उद्धव ठाकरे से भी अपने नेताओं को बचाए रखने की है.

नो-फ्रिल्स, जीरो कर्ज, एक ही तरह के जहाज के साथ इंडिगो आज भी खड़ी है. लेकिन नए FDTL नियमों और बढ़ते खर्च से उसकी पुरानी ताकत पर सवाल उठ रहे हैं. एयर इंडिया को टाटा ने नया जीवन दिया है, लेकिन अभी लंबी दौड़ बाकी है. स्पाइसजेट लंगड़ाती चल रही है. अकासा नया दांव लगा रही है. इसलिए भारत का आसमान जितना चमकदार दिखता है, एयरलाइन कंपनियों के लिए उतना ही खतरनाक साबित होता है.










