MP: शादियां रोक दीं, खुद से लगाया लॉकडाउन...और 226 ग्राम पंचायतों में कोरोना पर कंट्रोल
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देश में इस वक्त कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है. अब गांवों में भी कोरोना फैलने के मामले सामने आने लगे हैं. लेकिन एमपी के जबलपुर में कुछ ऐसे गांव भी हैं, जहां लोगों ने खुद से ही पाबंदियां लगा दीं, नियम बना दिया. उसका नतीजा ये हुआ कि इन गांवों में कोरोना का एक भी मामला नहीं आया.
देश में एक तरफ कोरोना का संक्रमण गांवों में भी फैलने लगा है तो वहीं कुछ ऐसे गांव भी हैं जहां कोरोना अब तक घुस भी नहीं पाया है और उसकी वजह है इन गांवों में रहने वाले लोगों का अनुशासन, उनके नियम, उनकी कड़ाई. मध्य प्रदेश के जबलपुर के कुछ गांवों में ग्रामीणों ने खुद से ही सख्ती दिखाई. गांवों में शादियां रोक दीं. बाहरी व्यक्ति को एंट्री भी नहीं दी. इसका नतीजा ये हुआ कि इन गावों में कोरोना का एक भी मामला सामने नहीं आया है. इसी का नतीजा है कि ग्रामीण अभी कोरोना के संक्रमण के दायरे में नहीं आ पाए हैं. ये कहानी है जबलपुर की, जहां की 516 ग्राम पंचायतों में से 226 ग्राम पंचायतें ऐसी हैं जहां कोरोना ग्रामीणों का बाल भी बांका नहीं कर सका है. इन 226 पंचायतों में अगर कोरोना नहीं पहुंच पाया है तो उसका सीधा सीधा श्रेय ग्रामीणों को जाता है. क्योंकि ये ग्रामीण ही थे जिन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग का सख्ती से पालन किया. मास्क अपने चेहरे से दूर नहीं कर रहे हैं. गांव में किसी दूसरे व्यक्ति की एंट्री भी बंद कर रखी है. साथ ही शादियों पर भी रोक लगा दी है. खुद से ही गांव में लॉकडाउन लगा रखा है. इतना ही नहीं, अगर कोई भी इन नियमों को तोड़ता है तो उसके ऊपर जुर्माना भी लगाया जाता है.नवाज शरीफ ने 25 साल बाद एक गलती स्वीकार की है. ये गलती पाकिस्तान की दगाबाजी की है. 20 फरवरी 1999 को दिल्ली से जब सुनहरी रंग की 'सदा-ए-सरहद' (सरहद की पुकार) लग्जरी बस अटारी बॉर्डर की ओर चली तो लगा कि 1947 में अलग हुए दो मुल्क अपना अतीत भूलाकर आगे चलने को तैयार हैं. लेकिन ये भावना एकतरफा थी. पाकिस्तान आर्मी के मन में तो कुछ और चल रहा था.
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