
MP: कमलनाथ के फॉर्मूले पर शिवराज निकाय चुनाव लड़ते तो बीजेपी के 9 नहीं 15 मेयर होते
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Madhya Pradesh Local Body Election: प्रदेश के नगर निगम में सीधे जनता से मेयर का चुनाव कराने का दांव बीजेपी को उलटा पड़ गया जबकि कांग्रेस को सियासी लाभ मिला है. अगर शिवराज सरकार पार्षदों के जरिए महापौर का चुनाव कराती तो बीजेपी सभी नगर निगमों में अपना महापौर बैठा सकती थी.
Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश नगर निकाय चुनाव में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. सूबे की कुल 16 नगर निगम में से बीजेपी के 9, कांग्रेस के 5, आम आदमी पार्टी एक और एक निर्दलीय मेयर बने हैं. अभी तक सभी नगर निगमों पर काबिज रही बीजेपी के हाथ से 7 नगर निगम निकल गए हैं जबकि कांग्रेस जीरो से बढ़कर 5 पर पहुंच गई है. हालांकि, सीएम शिवराज सिंह चौहान अगर कमलनाथ सरकार के फैसले को न पलटते और उसी फॉर्मूले पर निगम चुनाव लड़ते तो आज बीजेपी के 9 नहीं बल्कि 15 मेयर होते.
बीजेपी को लगा शहरों में बड़ा झटका
प्रदेश के नगर निगम में सीधे जनता से मेयर का चुनाव कराने का दांव बीजेपी को उलटा पड़ गया जबकि कांग्रेस को सियासी लाभ मिला है. बीजेपी के हाथों से रीवा, कटनी, मुरैना नगर निगम भी हाथ से निकल गए जबकि छिंदवाड़ा, ग्वालियर, सिंगरौली और जबलपुर में मेयर का चुनाव वो पहले ही हार चुकी है. इस तरह से बीजेपी ने 16 में से 7 नगर निगम गंवा दिए. यहां तक कि दो अन्य नगर निगम वह किसी तरह से जीत पाई है.
बीजेपी को बड़े शहरों में मेयर का सीधा चुनाव कराने से भारी नुकसान उठाना पड़ा. वहीं, अगर शिवराज सरकार पार्षदों के जरिए महापौर का चुनाव कराती तो बीजेपी सभी नगर निगमों में अपना महापौर बैठा सकती थी. नगर निगम के पार्षदों के नतीजे को देखें तो 16 में से 14 नगर निगम बोर्ड में बीजेपी पूर्ण बहुमत के साथ कब्जा जमा सकती है. इसके अलावा बीजेपी मुरैना नगर निगम में निर्दलीय पार्षदों को मिलाकर अपना मेयर बना सकती थी जबकि कांग्रेस सिर्फ छिंदवाड़ा ही मेयर बना पाती.
कमलनाथ के फैसले को पलटना महंगा पड़ा
बता दें कि कमलनाथ सरकार महापौर, नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव को अप्रत्यक्ष तरीके यानि पार्षदों के जरिए कराने का अध्यादेश लेकर आई थी, जिसका बीजेपी ने खूब विरोध किया था. कमलनाथ के इस निर्णय को बीजेपी ने लोकतंत्र की हत्या तक बताया था.

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