
MP अजब है... नगर निगम के नए हेडक्वार्टर पर ₹50 करोड़ खर्चे, पर मीटिंग हॉल बनाना 'भूले'; मेयर बोलीं- नई जगह बना लेंगे
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90 डिग्री के पुल और कम हाइट का मेट्रो स्टेशन बनाने के बाद राजधानी भोपाल में अब नगर निगम का नया बना मुख्यालय विवादों में है. करीब 50 करोड़ की लागत से 8 मंजिला भवन में मीटिंग हॉल ना होने पर नगर निगम की जमकर किरकिरी हो रही है. हालांकि, निगम के आला नेताओं का कहना है कि इमारत की डिजाइन में ही मीटिंग हॉल शामिल नहीं था.
MP News: भोपाल में एक बार फिर नगर निगम की प्लानिंग और इंजीनियरिंग पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं. सेकंड स्टॉप के पास तुलसी नगर में करोड़ों रुपए की लागत से तैयार हुई नई निगम बिल्डिंग अब विवादों में है, क्योंकि इस पूरी इमारत में मीटिंग हॉल ही नहीं है. इसी मीटिंग हॉल में निगम की बैठकें होती हैं जहां भोपाल शहर को लेकर कई योजनाओं और प्रस्तावों पर परिषद की मुहर लगती है.
अब नगर निगम ने भोपाल कलेक्टर को पत्र लिख इस इमारत के पास स्थित करीब 0.25 एकड़ जमीन मांगी गई है, जहां मीटिंग हॉल बनाया जाएगा.
दरअसल, कांग्रेस पार्षद गुड्डू चौहान ने इस मामले को परिषद की मीटिंग में सबसे पहले उठाया था कि जब निगम करोड़ों की लागत से बहुमंजिला नगर निगम मुख्यालय बना रहा है तो फिर उसमें मीटिंग हॉल क्यों नहीं है?
'आजतक' से बात करते हुए पार्षद गुड्डू चौहान ने कहा, ''यह साफ तौर पर अधिकारियों की गलती है जिन्होंने डीपीआर बनने से लेकर अब पूरी इमारत बनने तक इस ओर ध्यान ही नहीं दिया कि नगर निगम मुख्यालय में मीटिंग हॉल का क्या महत्व है. अधिकारी इस बात पर तो ध्यान देते हैं कि उन्हे नई गाड़ी मिले, कैबिन उनके आलीशान हों, लेकिन वो यह नहीं देखते कि पार्षदों का फंड समय पर रिलीज हो रहा है या नहीं और सफाई कर्मचारियों की सैलरी समय पर जा रही है या नहीं.''
गुड्डू चौहान के मुताबिक, इमारत की जब डीपीआर बनी थी तब भी पार्षदों को उसकी डीपीआर नहीं दिखाई गई.
निगम अफसरों की गलती: मेयर मालती राय भोपाल की मेयर मालती राय ने आजतक से कहा, ''यह सरासर निगम अधिकारियों की गलती है कि नई बिल्डिंग में परिषद हॉल नहीं बना. बिना मीटिंग हॉल के नगर निगम अधूरी है, क्योंकि परिषद से ही नगर निगम चलता है. मैंने कलेक्टर महोदय से बात की है, जिसके बाद पास में ही नई जगह अलॉट कर नया मीटिंग हॉल बनाया जाएगा.''

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