Mahabhart ki kahani: महाभारत युद्ध की वह घटना, जब भीष्म पितामह के क्रोध से पांडवों को द्रौपदी ने बचाया था
Zee News
महाभारत युद्ध के समय की एक ऐसी अनसुनी कहानी जिसमें भीष्म पितामह ने ली थी पांडवों के वध की प्रतिज्ञा और द्रौपदी ने कैसे अपने पतियों के प्राण बचाए.
नई दिल्ली: महाभारत का युद्ध कुरुक्षेत्र में 18 दिनों तक कौरवों और पांडवों के बीच चला- ये बात तो हम सभी जानते हैं. महाभारत की कहानी () हम सभी बचपन से भी जानते हैं और कई बार टीवी पर भी इसे धारावाहिक के रूप में देख चुके होते हैं. बावजूद इसके महाभारत से जुड़ी कुछ ऐसी छोटी-छोटी घटनाएं और कहानियां भी हैं जो रोचक होने के साथ ही अनुसनी भी हैं (Unheard Stories) और जिनके बारे में कम ही लोग जानते हैं. आज बात ऐसी ही एक कहानी कि जिसमें भीष्म पितामह के क्रोध से द्रौपदी ने पांडवों की जान बचायी थी. जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तो मन से पांडवों की विजय चाहते हुए भी भीष्म पितामह (Bhishma Pitamah) को कौरवों की तरफ से युद्ध करना पड़ा था. भीष्म पितामह रोजाना पांडवों (Pandav) के हजारों सैनिकों का वध कर रहे थे, इसके बावजूद दुर्योधन (Duryodhan) को हमेशा यही लगता था कि भीष्म पितामह पक्षपात कर रहे हैं और अपनी पूरी ताकत के साथ युद्ध नहीं कर रहे. दुर्योधन ने आरोप लगाया कि जब तक भीष्म पितामह का प्रेम पांडवों के लिए बना रहेगा तब तक कौरव (Kaurav) युद्ध नहीं जीत सकते. यह सुनकर भीष्म को क्रोध आ गया और उन्हें उसी क्षण हवा में पांच बाण उठाकर यह घोषणा कर दी कि अगले दिन वह इन्हीं पांच बाणों से पांडवों का वध करेंगे. यह सुनकर दुर्योधन खुश हो गया क्योंकि उसे पता था कि भीष्म पितामह अपने शब्द से कभी नहीं मुकरते.More Related News