Law and Order: क्या होता है किशोर न्याय बोर्ड? पुलिस से क्या है संबंध?
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कई मामलों में पकड़े जाने वाले अपराधी कानूनी तौर (legally) पर नाबालिग (Minor) होते हैं. क्योंकि उनकी उम्र 18 वर्ष से कम होती है. ऐसे अपराधियों से जुड़े मामलों की सुनवाई (hearing) अदालत (Court) में नहीं बल्कि किशोर न्याय बोर्ड (juvenile justice board) में होती है.
जब कहीं भी कोई भी अपराध (Offence) होता है, तो पुलिस (Police) उस वारदात (Crime) को अंजाम देने वाले अपराधी (Criminal) को तलाश करती है. वो अपराधी कोई भी हो सकता है. वो किसी भी आयु वर्ग (Age category) का हो सकता है. यही वजह है कि कई मामलों में पकड़े जाने वाले अपराधी कानूनी तौर (legally) पर नाबालिग (Minor) होते हैं. क्योंकि उनकी उम्र 18 वर्ष से कम होती है. ऐसे अपराधियों से जुड़े मामलों की सुनवाई (hearing) अदालत (Court) में नहीं बल्कि किशोर न्याय बोर्ड (juvenile justice board) में होती है. तो आइए जानते हैं कि ये किशोर न्याय बोर्ड क्या होता है?
किशोर न्याय बोर्ड (juvenile justice board) नाबालिग अपराधियों और किशोरों के मामलों को देखते हुए 22 वर्ष पहले किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और सरंक्षण) अधिनियम, 2000 Juvenile Justice Act, 2000 के तहत किशोर कल्याण बोर्ड (Juvenile welfare board) और किशोर न्याय बोर्ड (juvenile justice board) स्थापित किए जाने का काम शुरु किया गया. इस एक्ट के तहत वर्ष 2007 तक देश के सभी जनपदों में किशोर न्याय बोर्ड स्थापित किए जाने का लक्ष्य रखा गया था. तभी से किशोर न्याय बोर्ड वजूद में आए. इनके तहत नाबालिग अपराधियों से जुड़े मामले सुने और चलाए जाते हैं.
कौन होते हैं किशोर? किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) के तहत किशोर से अभिप्राय (meaning of teen) ऐसे व्यक्ति से है, जिसकी आयु 18 वर्ष से कम हो. कानून के खिलाफ (Against the law) की जाने वाली गतिविधियों में शामिल होने वाले किशोरों के खिलाफ इसी एक्ट (Act) के तहत कार्रवाई होती है. ऐसे आरोपी किशोरों के संबंध में कानूनी शक्तियों (legal Powers) का प्रयोग करने और कर्त्तव्य के निर्वहन (Discharge of duty) के लिए राज्य सरकारों (State governments) द्वारा किशोर न्याय बोर्ड गठित किए गए हैं.
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अधिनियम के प्रावधान (Provisions of the act) किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) 2000 भारत में किशोर न्याय के लिए प्राथमिक कानूनी ढांचा (Primary legal framework) है. यह एक्ट किशोर अपराध की रोकथाम और उपचार (Prevention and treatment) के लिए एक विशेष दृष्टिकोण (Special approach) प्रदान करता है. किशोर न्याय प्रणाली (juvenile justice system) के दायरे में बच्चों के संरक्षण (Rehabilitation of children), उपचार (Treatment) और पुनर्वास के लिए एक रूपरेखा (Outline) प्रदान करता है.
बाल अधिकारों (Rights of the Child) पर 1989 के संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCRC) के अनुपालन में लाए गए इस कानून (Law) के लिए भारत ने 1992 में यूएनसीआरसी में हस्ताक्षर किए थे. जिसके चलते 1986 के पहले के किशोर न्याय अधिनियम को भारत में निरस्त (Repealed) कर दिया गया था. उसकी जगह दूसरा एक्ट वजूद में आया. जिसे वर्ष 2000 में संशोधित कर किशोर न्याय अधिनियम (Juvenile Justice Act) 2000 का नाम दिया गया.
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