
JNU में 'टुकड़े-टुकड़े' कांड से चर्चा में आईं शहला रशीद ने मोदी सरकार की तारीफ की, जानिए कश्मीर पर क्या कहा
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नरेंद्र मोदी सरकार और बीजेपी को जम्मू-कश्मीर, हिन्दुत्व, साम्प्रदायिकता, असहिष्णुता जैसे मुद्दे पर घेरने वाली जेएनयू की पूर्व उपाध्यक्ष शहला रशीद ने कश्मीर मुद्दे पर केंद्र की तारीफ करके सबको चौंका दिया है. शहला रशीद ने कहा है कि इस बात को स्वीकार करना भले ही असुविधाजनक हो लेकिन सच ये है कि आज कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा है कि सरकार के एक ही फैसले ने कश्मीरियों के पहचान का संकट खत्म कर दिया.
जम्मू-कश्मीर में बदलाव की बयार बही तो केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की तारीफ उन गलियारों से हो रही है जहां केंद्र को तीखी आलोचनाओं का सामना करना पड़ता था. जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था तो जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष शहला रशीद ने इसके खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया था. तब शहला रशीद ने सेना पर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा था कि सेना लोगों के घरों में घुस रही है, लोगों को उठा रही है, मारपीट कर रही है. शहला के इन आरोपों का सेना ने सिरे से खंडन किया था.
लेकिन 4 साल गुजरते गुजरते शहला रशीद के विचारों में व्यापक बदलाव आया है. शहला ने 15 अगस्त को एक ट्वीट कर कहा है कि कश्मीर में मानवाधिकार रिकॉर्ड लगातार सुधर रहे हैं. उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने एक ही कोशिश में कश्मीरियों की पहचान के संकट को खत्म कर दिया है. शहला ने ऊर्जा और प्रदूषण जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि अब कश्मीर की नई पीढ़ी को संघर्ष के माहौल में बड़ा नहीं होना पड़ेगा.
मोदी सरकार और बीजेपी की कट्टर आलोचकों में थीं शहला
बता दें कि जएनयू में पीएचडी करते हुए शहला रशीद उन आवाजों में गिनी जाती थी जो नरेंद्र मोदी सरकार और बीजेपी की नीतियों की कट्टर आलोचक थीं. शहला जम्मू-कश्मीर, साम्प्रदायिकता, असहिष्णुता, हिन्दुत्व, इकोनॉमी जैसे मुद्दे पर सरकार की घनघोर आलोचना करती थीं. उनके भाषणों के वीडियो से सोशल मीडिया भरा हुआ है.
JNU में टुकड़े टुकड़े के नारे और चर्चा में आई शहला
2016 में जेएनयू में जब कथित तौर पर कुछ छात्रों ने भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगाए गए थे तो जेएनयूएसयू के अध्यक्ष कन्हैया कुमार और उमर खालिद की गिरफ्तारी हुई थी. तब ये मामला काफी सुर्खियों में रहा था. बाद में इस नारेबाजी से टुकड़े-टुकड़े गैंग निकला और इसका राजनीतिक इस्तेमाल होने लगा. छात्रों की ओर से नारेबाजी से इनकार किया गया था. इस दौरान शहला रशीद ने केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था. शहला रशीद छात्रों के राजनीतिक प्रदर्शन के अधिकार को सख्ती से डिफेंड करती हुई नजर आती थीं. तब शहला कई न्यूज चैनलों और कार्यक्रमों के प्लेटफॉर्म पर आईं और अभिव्यक्ति की आजादी के समर्थन में खड़ी हुईं.

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