ITO बैराज के मुद्दे पर क्यों आमने-सामने आ गई हैं दिल्ली और हरियाणा सरकार?
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दिल्ली के आईटीओ बैराज के जाम होने का कारण गाद जमा होना है. जाम हुए 5 गेटों में से प्रत्येक पर कम से कम 10-15 फीट गाद जमा हो गई थी. हरियाणा सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक,'2014 में एक अवैध नर्सरी के मुद्दे को उठाया गया था, यह यमुना के प्रवाह को रोक रही है.
दिल्ली में बाढ़ के कारण आईटीओ बैराज पर जाम हुए 5 गेट हरियाणा और दिल्ली सरकार के बीच राजनीतिक टकराव का मुद्दा बन गए हैं. हाल ही में दिल्ली सरकार के सिंचाई मंत्री सौरभ भारद्वाज ने बिजली न होने के कारण आईटीओ बैराज के गेटों का रखरखाव न करने पर दिल्ली से हरियाणा सरकार को भेजे गए पांच पत्रों का हवाला दिया था. दिल्ली सरकार ने आईटीओ बैराज का स्वामित्व हरियाणा सरकार को सौंपने के लिए भी दबाव डाला है. इस बीच, हरियाणा सरकार ने इस बात की आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं कि आईटीओ बैराज के 5 गेटों के जाम होने का कारण क्या है?
दिल्ली में बाढ़ आई हुई है. हरियाणा सिंचाई विभाग के अधिकारी जाम गेटों को खोलने के लिए एक निजी कंपनी के साथ काम कर रहे हैं. उन्हें सेना और भारतीय नौसेना सहायता प्रदान कर रही है. गेट जाम होने का मुख्य कारण गाद जमा होना है. जाम हुए 5 गेटों में से प्रत्येक पर कम से कम 10-15 फीट गाद जमा हो गई थी. हरियाणा सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक,'2014 में एक अवैध नर्सरी के मुद्दे को उठाया गया था, यह यमुना के प्रवाह को रोक रही है. इस कारण से ही बैराज पर गाद जमा हो गई है. और इसके परिणामस्वरूप गाद जमा हो गई है और इसके बाद गेट जाम हो गए.
आजतक के पास डीडीए को लिखे गए हरियाणा के पत्र हैं. जहां उन्होंने सचित्र प्रतिनिधित्व के साथ अवैध नर्सरी के बारे में प्रकाश डाला है. जब आजतक ने घटनास्थल का दौरा किया, तो हमने पाया कि उक्त स्थान आईटीओ गेटों के ठीक सामने है, जिससे उनमें से कम से कम चार गेट सीधे अवरुद्ध हो गए हैं. इस खंड में गेट खुलने के बावजूद प्रवाह कम या बिल्कुल भी नहीं है.
हालाँकि, हरियाणा सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों का सुझाव है कि दिल्ली सरकार आईटीओ बैराज पर अनावश्यक राजनीति कर रही है. वह रखरखाव का भुगतान करने से बच नहीं सकते, क्योंकि बैराज अनिवार्य रूप से दो थर्मल प्लांट को पानी उपलब्ध कराने के लिए बनाया गया था.
बता दें कि आईटीओ बैराज का निर्माण वर्ष 1966 में 3 लाख क्यूसेक पानी की क्षमता के साथ किया गया था. बैराज का निर्माण राजघाट थर्मल प्लांट और आईपीजीसीएल को संचालन के लिए पानी उपलब्ध कराने के लिए किया गया था. बदले में उन्होंने बैराज के रखरखाव के लिए हरियाणा सरकार को भुगतान किया था. हालांकि, 2019 में दोनों बिजली-संयंत्र बंद होने के कारण, दिल्ली सरकार द्वारा हरियाणा को रखरखाव का पैसा रोक दिया गया था. इंडिया टुडे द्वारा समीक्षा किए गए दस्तावेजों के मुताबिक दिल्ली सरकार के हरियाणा को रखरखाव के लिए भुगतान किए गए आखिरी चेक का साल 2020 था.
आजतक को मिले दस्तावेजों के मुताबिक हरियाणा सरकार ने रखरखाव का काम जारी रखा और 2020 के बाद दिल्ली सरकार से पैसे की मांग करते हुए तीन पत्र लिखे. इसके जवाब में, दिल्ली सरकार ने आईटीओ बैराज के स्वामित्व की मांग करते हुए पत्र भेजे. आईटीओ बैराज का स्वामित्व दिल्ली को हस्तांतरित क्यों नहीं किया जा रहा है, इस पर हरियाणा सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार वास्तव में मालिकाना हक चाहती है, तो उन्हें इसे उचित तरीके से लेना चाहिए.
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