IAS का एक कुत्ता जिसकी शाही सैर की आदत ने पति-पत्नी को कर दिया 3500 KM दूर
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संजीव खिरवार 1994 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं. वह अभी दिल्ली के रिवेन्यू कमिश्नर पद पर तैनात थे. उनके अंदर दिल्ली के सारे डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट काम करते थे. साथ ही साथ यह दिल्ली के पर्यावरण विभाग के सचिव भी थे. उन्होंने कंप्यूटर इंजीनियरिंग से बीटेक किया है. साथ ही इकोनॉमिक्स में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की है.
दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम ( (Thyagraj Stadium) में कुत्ता घुमाने को लेकर IAS अधिकारी संजीव खिरवार विवादों में हैं. लेकिन शायद संजीव खिरवार ने कुत्ते को सैर कराते वक्त ये नहीं सोचा होगा कि उन्हें अपनी इस आदत के चलते कभी अपने परिवार से 3500 KM दूर रहना होगा. दरअसल, विवाद बढ़ने के बाद IAS संजीव खिरवार का ट्रांसफर लद्दाख कर दिया गया है. वहीं, उनकी पत्नी रिंकू धुग्गा का तबादला अरुणाचल प्रदेश में हुआ है. दोनों राज्यों के बीच करीब 3,465 किमी दूरी है. पहले दोनों की पोस्टिंग दिल्ली में ही थी.
क्या है विवाद?
दरअसल, दिल्ली के त्यागराज स्टेडियम में ट्रेनिंग कराने वाले एक कोच ने दावा किया था कि पहले वे रात 8 या 8.30 बजे तक ट्रेनिंग करते थे. लेकिन अब उनको 7 बजे ग्राउंड खाली करने को कह दिया जाता है, ताकि IAS अफसर संजीव खिरवार वहां अपने कुत्ते संग टहल सकें. कोच ने कहा कि इससे उनकी ट्रेनिंग और प्रैक्टिस रूटीन में दिक्कत पैदा हो रही है.
त्यागराज स्टेडियम से जुड़े कोच और एथलीट्स ने अपनी परेशानी का इजहार किया था. कोच ने कहा था कि इससे उनकी ट्रेनिंग और प्रैक्टिस रूटीन में दिक्कत पैदा हो रही है. उन्होंने कहा था कि पहले वे 8.30 या कभी-कभी 9 बजे तक भी प्रैक्टिस कर लेते थे. तब वे हर आधे घंटे में ब्रैक लेते थे. लेकिन अब ऐसा नहीं कर पाते. वहीं कुछ ऐसे भी हैं, जो 3 किलोमीटर दूर जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में जाने लगे हैं.
विवाद बढ़ा तो एक्शन में आई सरकार
मीडिया में मामला सामने के बाद विवाद काफी बढ़ गया था. इसके बाद केंद्र सरकार एक्शन में आ गई. सरकार ने IAS अधिकारी संजीव खिरवार का ट्रांसफर लद्दाख और उनकी पत्नी का ट्रांसफर अरुणाचल प्रदेश में कर दिया. बताया जा रहा है कि इस मामले पर मुख्य सचिव ने गृह मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपी है. इसी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष और अपनी पार्टी के इकलौते सांसद जीतन राम मांझी भी मोदी सरकार में मंत्री बन गए हैं. 44 सालों के पॉलिटिकल करियर में मांझी राज्य सरकार में कई बार मंत्री बन चुके हैं लेकिन पहली बार वो मोदी सरकार में मिनिस्टर बने हैं. मांझी ने एनडीए उम्मीदवार के तौर पर इस बार गया (रिजर्व सीट) से चुनाव लड़ा था और भारी मतों के अंतर से चुनाव जीता था.