G20 Summit: ढोकरा आर्ट से होगा विदेशी मेहमानों का स्वागत, 'भारत मंडपम' में दिखेगी बस्तर की प्रतिभा
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G-20 Summit: बस्तर की बेल मेटल काष्ठ कला और ढोकरा आर्ट पूरे देश में प्रसिद्ध है. खासकर ढोकरा आर्ट की मूर्तियों की काफी डिमांड है. देश के बड़े महानगरों में बाकायदा ढोकरा आर्ट के शोरूम भी हैं. इन शोरूम्स में आदिवासियों के बनाए ढोकरा आर्ट की मूर्तियों की काफी डिमांड है. आखिर बस्तर के ढोकरा आर्ट की डिमांड क्यों होती है?
छत्तीसगढ़ के गर्व की बात है कि कोंडागांव जिले के शिल्पकारों ने अब देश ही नहीं, विदेश में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा लिया है. जब वैश्विक संगठन G-20 की अध्यक्षता कर भारत तमाम देशों के ताकतवर राष्ट्राध्यक्षों को नई दिल्ली बुला रहा है, तब उन विदेशाी मेहमानों का स्वागत बस्तर ढोकरा आर्ट से किया जाएगा. कोंडागांव के भेलवापदर पारा में लगभग 200 परिवार शिल्पकला से जुड़े हुए हैं. उनके साथ 600 से अधिक महिला-पुरुष भी कलाकृतियां बनाने का काम करते हैं.
बस्तर की बेल मेटल काष्ठ कला और ढोकरा आर्ट पूरे देश में प्रसिद्ध है. खासकर ढोकरा आर्ट की मूर्तियों की काफी डिमांड है. देश के बड़े महानगरों में बाकायदा ढोकरा आर्ट के शोरूम भी हैं. इन शोरूम्स में आदिवासियों के बनाए ढोकरा आर्ट की मूर्तियों की काफी डिमांड है. आखिर बस्तर के ढोकरा आर्ट की डिमांड क्यों होती है?
स्थानीय शिल्पकार प्रदीप सागर ने बताया कि ढोकरा आर्ट को बनाने के लिए काफी मेहनत लगती है. कलाकृति को बनाने में करीब 15 प्रक्रियाओं से गुजारना पड़ता है. अधिकतर ढोकरा शिल्पकला में आदिवासी संस्कृति की छाप होती है. देवी-देवताओं और पशु कलाकृतियों में हाथी, घोड़े, हिरण, नंदी, गाय और मनुष्य की आकृति होती है. इसके अलावा शेर, मछली, कछुए और मोर भी बनाए जाते हैं.
प्रदीप सागर के मुताबिक, ढोकरा आर्ट की एक मूर्ति बनाने में एक दिन का समय लगता है. सबसे पहले चरण में मिट्टी का प्रयोग होता है और मिट्टी से ढांचा तैयार किया जाता है. काली मिट्टी को भूसे के साथ मिलाकर बेस बनता है और मिट्टी के सूखने पर लाल मिट्टी की लेप लगाई जाती है. G-20 में महोबा का 'कमल पुष्प'... जो बाइडेन, ऋषि सुनक समेत विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को दिया जाएगा ये स्पेशल गिफ्ट
शिल्पकार बोले- पूर्वजों की परंपरा को आगे बढ़ा रहे
शिल्पकार प्रदीप सागर, भूपेन्द्र बघेल और प्रहलाद नाग ने कहा कि हम लोग बचपन से ढोकरा आर्ट की कलाकृतियां तैयार कर रहे. हजारों वर्ष पुरानी पूर्वजों की इस पंरपरा को हम आगे बढ़ा रहे हैं. आज हमें काफी गर्व महसूस हो रहा है कि हमारी कलाकृति ढोकरा आर्ट को G-20 समिट में विदेशी मेहमान देखेंगे. हम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद देते हैं. हमारी ढोकरा आर्ट की पहचान अब विदेशों तक होगी.
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