
CWG: सुशीला देवी ने जूडो में सिल्वर मेडल किया अपने नाम, 5 मिनट भी नहीं चला फाइनल
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कॉमनवेल्थ गेम्स में 2022 भारत की सुशीला देवी लिकमाबाम जूडो के 48 किलो भारवर्ग के फाइनल में भाग ले रही हैं. सुशीला का सामना साउथ अफ्रीका की मिचेला व्हाइटबोई से है. टोक्यो ओलंपिक 2022 में सुशीला जूडो में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली इकलौती खिलाड़ी थीं. अब सुशीला से इस मैच में फैन्स को गोल्ड मेडल जीतने की उम्मीदें हैं.
Shushila Devi Silver Medal: जूडो के 48 किलोग्राम फाइनल में भारत की सुशीला देवी लिकमाबाम को हार का सामना करना पड़ा है और उन्हें सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा, फाइनल में सुशीला का सामना साउथ अफ्रीका की मिचेला व्हाइटबोई से था, जिन्होंने गोल्ड पर कब्जा जमाया. दोनों खिलाड़ियों के बीच मुकाबला 4 मिनट 25 सेकेंड तक चला.
मुकाबले के दौरान दोनों खिलाड़ियों को पेनल्टी के तौर पर 2-2 अंक मिले. जिसके बाद गोल्डन अंक के जरिए फैसला हुआ. साउथ अफ्रीका की मिचेला व्हाइटबोई ने वजा-आरी स्कोरिंग के तहत 1 अंक लेकर गोल्ड मेडल जीत लिया.
सुशीला ने सेमीफाइनल में मॉरिशस की प्रिसिल्ला मोरांद को इपपोन से हराया था. उससे पहले सुशीला ने क्वार्टर फाइनल में मालावी की हैरियट बोनफेस को हराया था. 27 साल की जुडोका सुशीला देवी इससे पहले भी राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीत चुकी थीं, वह 2014 के ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में इस इवेंट में भारत के लिए रजत पदक जीतने में कामयाब रही थीं. इसके साथ ही सुशीला देवी कॉमनवेल्थ गेम्स के जूडो इवेंट में मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गई थीं.
सुशीला का जन्म एक फरवरी 1995 को हुआ था और वह मणिपुर की रहने वाली हैं. सुशीला को बचपन से ही जूडो का शौक था क्योंकि उनका परिवार इस खेल से जुड़ा रहा है. टोक्यो ओलंपिक 2020 में सुशील भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली इकलौती खिलाड़ी थी. सुशीला दिग्गज बॉक्सर एमसी मेरीकॉम को अपना आदर्श मानती हैं.
ऐसा है जूडो का स्कोरिंग पैटर्न
जूडो के खिलाड़ियों को 'जुडोका' कहा जाता है. जूडो में तीन तरह से स्कोरिंग की जाती है जिसे इपपोन, वजा-आरी और यूको कहते हैं. इपपोन तब होता है, जब खिलाड़ी सामने वाले खिलाड़ी को थ्रो करता है और उसे उठने नहीं देता, इपपोन होने पर एक फुल पॉइंट दिया जाता है और खिलाड़ी जीत जाता है. सुशीला देवी ने इपपोन के जरिए ही सेमीफाइनल में जीत हासिल की थी.

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