
8 साल बाद महोबा से प्रतापगढ़ पहुंचा सिपाही, कहानी सुनकर हैरत में पड़े SP
AajTak
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ पुलिस लाइन में उस वक्त हड़कंप मच गया, जब एक सिपाही अपनी आमद कराने पहुंचा. इस सिपाही का तबादला 8 साल पहले महोबा से हुआ था, लेकिन वह गायब हो गया था. आठ साल बाद पुलिस लाइन पहुंचे सिपाही ने जब पूरी कहानी बताई तो लोग हैरत में पड़ गए.
उत्तर प्रदेश के महोबा से प्रतापगढ़ पहुंचने में सिपाही को 8 साल लग गए. 2014 में महोबा में तैनात सिपाही का प्रतापगढ़ तबादला हुआ था, लेकिन वह प्रतापगढ़ पहुंचा 2022 में. आठ साल बाद पुलिस लाइन पहुंचे सिपाही ने जब पूरी कहानी बताई तो लोग हैरत में पड़ गए. फिलहाल सिपाही के 8 साल तक गायब रहने की जांच चल रही है.
दरअसल, बांदा जिले का रहने वाला प्रेम नारायण पाल जनवरी, 2014 में महोबा जनपद में बतौर आरक्षी तैनात था. यहां से उसका स्थानांतरण प्रतापगढ़ के लिए हुआ लेकिन वह प्रतापगढ़ पुलिस लाइन आमद कराने नहीं पहुंचा. ट्रांसफर के आठ साल बाद अक्टूबर 2022 में प्रेम नारायण पाल पुलिस लाइन पहुंचा.
मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस अधीक्षक सतपाल अंतिल ने इस मामले की जांच सीओ लाइन प्रभात कुमार को सौंप दी. इसके बाद सीओ में बांदा से लेकर महोबा तक जांच पड़ताल की. इस मामले में पुलिस के सामने बड़ी चुनौती थी कि क्या आठ साल से गायब सिपाही प्रेम नारायण पाल ही ज्वाइनिंग के लिए पहुंचा है या कोई.
सिपाही प्रेम नारायण ने बताया कि उसका एक्सीडेंट हो गया था और घर मे कोई ऐसा नहीं था, जो इलाज के लिए कहीं ले जा सके, न ही उसके पास पैसा था, जिसके चलते उसकी पत्नी और बुजुर्ग पिता ने घर पर ही देशी इलाज कराया, इलाज के लिए उसके बुजुर्ग मां-बाप ने पहले जमीन बेचीं, फिर उसने खुद भी जमीन बेचकर इलाज कराया.
प्रेम नारायण ने बताया कि वो विभिन्न गायकों की आवाज में गाना भी अच्छा गाता है, जिसके चलते वह मुंबई पहुंच गया. म्यूजिक इंडस्ट्री में किस्मत आजमाने के लिए तानपुरा लेकर पहुंचा और 10 हजार में कमरा लिया, लेकिन आगे किराया दे पाना सम्भव नहीं हुआ तो वापस लौट आया, इस दौरान सेहत में सुधार होता रहा और आठ साल बाद प्रतापगढ़ पहुंचा.
एसपी ने नौकरी के दौरान मिली सजा के बारे में पूछा तो सिपाही प्रेम नारायण ने बताया, 'इलाहाबाद के लाल गोपालगंज इलाके में एक पाकिस्तानी उसके कब्जे से भाग गया था, इस मामले में साथ रहा दरोगा कई बार पीसीओ से उसकी बात कराता रहा और सुरक्षा में तैनात सिपाही विरोध करते रहे, इस घटना में मुझे व अन्य सिपाहियों को निलंबित किया गया था, जबकि दरोगा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था, दरोगा जांच में दोषी पाया गया, जिसके बाद उसे बर्खास्त कर दिया गया और मुझ समेत सिपाहियों को बहाल कर दिया गया.'

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को रूसी भाषा में भगवद गीता का एक विशेष संस्करण भेंट किया है. इससे पहले, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को भी गीता का संस्करण दिया जा चुका है. यह भेंट भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को साझा करने का प्रतीक है, जो विश्व के नेताओं के बीच मित्रता और सम्मान को दर्शाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कई अनोखे और खास तोहफे भेंट किए हैं. इनमें असम की प्रसिद्ध ब्लैक टी, सुंदर सिल्वर का टी सेट, सिल्वर होर्स, मार्बल से बना चेस सेट, कश्मीरी केसर और श्रीमद्भगवदगीता की रूसी भाषा में एक प्रति शामिल है. इन विशेष तोहफों के जरिए भारत और रूस के बीच गहरे संबंधों को दर्शाया गया है.

चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन बयानों को प्रमुखता दी, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया है. पुतिन ने कहा कि रूस को दोनों देशों के आपसी रिश्तों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं. चीन ने पुतिन की भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह नतीजों पर नजर रखे हुए है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार रात डिनर का आयोजन किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डिनर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया. इसके बावजूद कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को बुलाया गया.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.







