
33,000 फीट की ऊंचाई से नीचे गिरी युवती, फिर भी बच गई जान, हैरान कर देगी ये घटना
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33,000 फीट की ऊंचाई से अगर कोई नीचे गिरे तो उसका बचना लगभग नामुमकिन है. लेकिन हम आपके एक ऐसी युवती की कहानी बताने जा रहे हैं जो एक फ्लाइट हादसे में इतनी ऊंचाई से गिरने के बावजूद बच गईं. चलिए जानते हैं इस दिलचस्प और हैरान कर देने वाली घटना के बारे में विस्तार से...
आपने कई सारे प्लेन हादसों के बारे में सुना होगा. लेकिन क्या हो अगर 33,000 फीट की ऊंचाई पर जाकर कोई प्लेन क्रैश हो जाए. यकीनन उसमें सवार लोगों की मौत होना तय है. मगर आज हम आपको एक ऐसी एयरहोस्टेस की कहानी बताने जा रहे हैं जो 33,000 फीट से गिरकर भी जिंदा बच गई. इस कहानी पर यकीन करना बेशक कठिन होगा पर ये बिल्कुल सच है. चलिए जानते हैं इस सच्ची घटना के बारे में विस्तार से...
तारीख 26 जनवरी 1972... एक एरोप्लेन ने स्वीडन के स्टॉकहोम (Stockholm, Sweden) से सर्बिया के बिलग्रेड (Belgrade, Serbia) के लिए उड़ान भरी. उस फ्लाइट का नाम था जैट फ्लाइट 367 (Jat Fight 367). इसमें कुल 28 लोग सवार थे. सब कुछ ठीक चल रहा था. फ्लाइट करीब 33,000 फीट की ऊंचाई पर थी.
लगेज अपार्टमेंट में हुआ जोरदार धमाका एक एयरहोस्टेस खाने के सामान की ट्रॉली लेकर पैसेंजर के पास आ रही थी. तभी फ्लाइट के लगेज अपार्टमेंट में एक जोरदार धमाका हुआ. धमाका इतना तेज था कि हवा में ही प्लेन के तीन टुकड़े हो गए. अब प्लेन में आग लग गई और तेजी से फ्लाइट पूरे मलबे में तब्दील हो गई. प्लेन के तीनों टुकड़े जीमन पर आ गिरे. जिस जगह प्लेन के टुकड़े गिरे, वहां बर्फ की मोटी चादर थी. जब वहां प्लेन के मलबे गिरे तब वह जल ही रहे थे.
ब्रूनो होंके ने युवती को मलबे से बाहर निकाला 'द स्टेस्टमैन' की खबर के मुताबिक, चेकोस्लोवाकिया के श्रीबस्का कामेनिस (Srbská Kamenice, Czechoslovakia) में यह प्लेन गिरा था. उसी समय गांव का एक आदमी ब्रूनो होंके (Bruno Honke) वहां आ पहुंचा. उसकी नजर वहां एक जगह पर जा रुकी जहां दर्द से कराह रही एक युवती मदद मांग रही थी. युवती बुरी तरह मलबे में फंसी हुई थी. ब्रूनो दूसरे विश्व युद्ध की मेडिकल टीम का हिस्सा थे. इसलिए उन्होंने तुंरत उस लड़की को काफी सावधानी से मलबे से निकाल लिया. उस लड़की के पैर की हड्डियां टूट चुकी थीं. और शरीर पर जख्म के कई निशान थे.
10 दिन बाद आया युवती को होश ब्रूनो ने युवती को तुरंत अस्पताल पहुंचाया. लेकिन तब तब वह कोमा में जा चुकी थी. 10 दिन बाद उसे होश आया. उसने बताया कि उसका नाम वेस्ना वलोविक (Vesna Vulovic). इस प्लेन हादसे में जिंदा बची एकमात्र लड़की. जो कि 33,000 फीट की ऊंचाई से बिना पैराशूट के नीचे गिरी और फिर भी बच गई. यह खबर पूरी दुनिया के लिए किसी चमत्कार से कम नहीं थी. क्योंकि इस पर किसी को भी भरोसा करना मुश्किल हो पा रहा था. खुद वेस्ना वलोविक को भी यकीन नहीं हो रहा था कि वह बच कैसे गई. लेकिन इस हादसे में उसकी कमर से नीचे वाला पूरा हिस्सा पैरालाइज्ड हो चुका था. वह चल नहीं सकती थी.
रिसर्च में सामने आईं कई बातें आखिर वह बची कैसे, इस बात पर रिसर्च होने लगी. रिसर्च के दौरान सबसे बड़ी वजह यह बताई गई वेस्ना वलोविक के लो ब्लड प्रेशर का होना. एक्पर्ट्स ने बताया कि जब भी आप हजारों फीट की ऊंचाई पर होते हैं और ऐसा हादसा होता है तो ब्लड प्रेशर काफी बढ़ जाता है. फिर ऑक्सीजन की कमी से दिल फट जाता है. उस फ्लाइट में दूसरे यात्रियों के साथ ऐसा ही हुआ होगा. लेकिन वेस्ना का ब्लड प्रेशर लो रहता था. ऐसे में अगर उनका ब्लड प्रेशर बढ़ा भी होगा तो बाकी लोगों के मुकाबले कम बढ़ा होगा. इसलिए वह सर्वाइव कर गईं.

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