31 साल पुराना केस, 353 साल पुराना इतिहास... ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में जानिए कब क्या हुआ?
AajTak
Kashi Vishwanath Temple v/s Gyanvapi Mosque Dispute: काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद 31 साल से अदालत में है. ये मामला पहली बार 1991 में अदालत में गया था. हिंदू पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर तोड़कर बनाई गई थी, इसलिए यहां दोबारा मंदिर के निर्माण की इजाजत दी जाए.
Kashi Vishwanath Temple v/s Gyanvapi Mosque Dispute: क्या अयोध्या के बाद अब काशी की बारी है? ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ दिनों से वाराणसी में हलचल तेज है. कारण है काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद.
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद फिलहाल अदालत में है. पिछले साल अगस्त में 5 महिलाओं ने वाराणसी की स्थानीय अदालत में एक वाद दायर किया था. इसमें महिलाओं ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर समेत कई विग्रहों में पूजन-दर्शन की इजाजत देने और सर्वे कराने की मांग की थी. इसी वाद पर अदालत ने यहां सर्वे करने की इजाजत दी थी. कोर्ट के आदेश पर अब सर्वे हो चुका है, लेकिन इससे काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को हवा मिल गई है.
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का केस 31 साल से अदालत में है. जबकि, ज्ञानवापी मस्जिद का इतिहास 350 साल से भी ज्यादा पुराना है. सबसे पहले जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है?
ये भी पढ़ें-- ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में क्या-क्या मिला? वीडियोग्राफर ने बताया
क्या है विवाद की जड़?
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद का विवाद काफी हद तक अयोध्या विवाद जैसा ही है. हालांकि, अयोध्या के मामले में मस्जिद बनी थी और इस मामले में मंदिर-मस्जिद दोनों ही बने हुए हैं. काशी विवाद में हिंदू पक्ष का कहना है कि 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने यहां काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद बनाई थी. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना है कि यहां मंदिर नहीं था और शुरुआत से ही मस्जिद बनी थी.
‘जिस घर में कील लगाते जी दुखता था, उसकी दीवारें कभी भी धसक जाती हैं. आंखों के सामने दरार में गाय-गोरू समा गए. बरसात आए तो जमीन के नीचे पानी गड़गड़ाता है. घर में हम बुड्ढा-बुड्ढी ही हैं. गिरे तो यही छत हमारी कबर (कब्र) बन जाएगी.’ जिन पहाड़ों पर चढ़ते हुए दुख की सांस भी फूल जाए, शांतिदेवी वहां टूटे हुए घर को मुकुट की तरह सजाए हैं. आवाज रुआंसी होते-होते संभलती हुई.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवनियुक्त केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह और नितिन गडकरी से सोमवार को नई दिल्ली में मुलाकात की. भाजपा के तीनों नेताओं ने रविवार को मोदी-3.0 में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी. 2024 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद तीनों वरिष्ठ नेताओं से योगी आदित्यनाथ की यह पहली मुलाकात है.