
12 करोड़ का खर्च, वैज्ञानिक संस्थानों ने की मदद... फिर भी प्रदूषण से लड़ाई में फिसड्डी हुआ रियल टाइम सोर्स अपोरशनमेंट सेंटर
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प्रदूषण के महीनों के दौरान हवा में आने वाले प्रदूषकों के स्रोतों का पता लगाना इस सेंटर का उद्देश्य है. जब दिल्ली प्रदूषण की मार झेल रही है तो ऐसे अत्याधुनिक केंद्र का बंद होना सवाल खड़ा करता है. सवाल है कि आखिर सरकारें प्रदूषण के खतरे को लेकर कितनी गंभीर हैं. इस सेंटर का उद्घाटन इसी साल जनवरी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया था.
एक तरफ तो दिल्ली प्रदूषण के खिलाफ कड़ी लड़ाई लड़ने का दावा कर रही है, लेकिन इस लड़ाई में आगे बढ़ने के बजाय राजधानी पीछे की ओर जा रही है. दरअसल दिल्ली सरकार की ओर से आईआईटी-कानपुर, आईआईटी-दिल्ली और टीईआरआई के सहयोग से रियल टाइम सोर्स अपोरशनमेंट सेंटर की स्थापना की गई थी. इसने उद्घाटन के कुछ महीनों के भीतर ही काम करना बंद कर दिया. केंद्र की स्थापना देश के शीर्ष वैज्ञानिक संस्थानों की मदद से 12 करोड़ रुपये के खर्च से की गई थी.
प्रदूषण के महीनों के दौरान हवा में आने वाले प्रदूषकों के स्रोतों का पता लगाना इस सेंटर का उद्देश्य है. जब दिल्ली प्रदूषण की मार झेल रही है तो ऐसे अत्याधुनिक केंद्र का बंद होना सवाल खड़ा करता है. सवाल है कि आखिर सरकारें प्रदूषण के खतरे को लेकर कितनी गंभीर हैं. इस सेंटर का उद्घाटन इसी साल जनवरी में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने किया था. यह देश में इस तरह का एकमात्र केंद्र है जो प्रदूषक तत्वों को डीकोड करके पता लगाता है कि वे कैसे और कहां से आ रहे हैं.
जब हर साल उत्तर भारतीय राज्यों के बीच प्रदूषकों के स्रोत को लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता था तो केंद्र महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता था. रियल टाइम सोर्स अपोरशनमेंट जानने के लिए सर्वोदय बाल विद्यालय, राउज़ एवेन्यू, नई दिल्ली में एक सुपरसाइट विकसित की गई जो PM2.5, NO2, NOx, CO, SO2, ओजोन, मौलिक कार्बन, कार्बनिक कार्बन, पॉली परमाणु को मापने में सक्षम है. इसके साथ ही हाइड्रोकार्बन (पीएएच), तत्व, आयन, द्वितीयक अकार्बनिक और कार्बनिक एरोसोल, और molecular markers भी जानने में सक्षम है.
केंद्र का उद्देश्य क्या था? सुपरसाइट को वायु गुणवत्ता और स्रोतों की प्रति घंटा, दैनिक, साप्ताहिक और मासिक जानकारी देनी थी. इसके साथ ही प्रमुख स्रोतों पर उच्च स्तर के नियंत्रण का सुझाव देना था. परियोजना का एक और कंपोनेंट एक अत्याधुनिक state-of-the-art mobile air quality laboratory विकसित करना था जो एयर क्वालिटी की साप्ताहिक व्याख्या और सोर्स अपोरशनमेंट की जानकारी देने में सक्षम हो. रियल टाइम सोर्स अपोरशनमेंट सेंटर का उद्देश्य निरंतर या वास्तविक समय के आधार पर वाहनों, निर्माण से उठने वाली धूल और बायोमास जलने जैसे स्रोतों के योगदान का आकलन करना है.
दरअसल, अक्टूबर से शुरू होने वाली सर्दियों के दौरान दिल्ली और आसपास के इलाकों में प्रदूषण का वास्तविक स्रोत क्या है, इस पर लंबे समय से बहस चल रही है. इसलिए, परिणाम ऐसी जानकारी प्रदान कर सकते हैं जिस पर तत्काल कार्रवाई की जा सकती है और दिल्ली एनसीआर में प्रदूषकों को कम करने के बजाय स्रोत पर ही लक्षित योजना शुरू की जा सकती है.
प्रदूषकों के स्रोत का कैसे पता लगाता है केंद्र? दरअसल, सेंटर सोर्स मार्कर की अवधारणा पर काम करता है. प्रदूषकों का एक विशेष समूह एक विशेष स्रोत से ही आता है इसलिए स्रोत की आसानी से पहचान की जा सकती है. उदाहरण के लिए, फसल जलाने के दौरान लेवोगुलुकोसन, गैलेक्टोसैन, मन्नोसन, एन्थ्रेसीन, अमोनियम और पोटेशियम जैसे रासायनिक यौगिक और मार्कर हवा में मिल जाते हैं. इसलिए कोई यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि प्रदूषण का मुख्य स्रोत बायोमास के जलने से आने वाला धुआं है.

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