100 लड़कियों से रेप, ब्लैकमेलिंग और दबंगई... 'अजमेर 92' की असली कहानी आपको दहला देगी
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'Ajmer-92' सच्ची घटना पर आधारित फिल्म उन लड़कियों की कहानी है, जिन्हें ब्लैकमेल किया गया और उनका यौन शोषण किया गया. सबसे पहले अजमेर के एक स्कूली लड़की को फंसाकर उसके न्यूड फोटोज क्लिक गए थे और उसके बाद फोटो के आधार पर उसे और लड़कियों को इस खेल में शामिल करने के लिए ब्लैकमेल किया गया था.
दुनिया में सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह का स्थान राजस्थान का अजमेर और जगत पिता ब्रह्मा जी के पवित्र स्थल तीर्थराज पुष्कर के कारण धार्मिक पर्यटन नक्शे पर अपनी एक अलग ही पहचान रखता है. जिसे गंगा- जमुनी संस्कृति के रूप में आज भी जाना और पहचाना जाता है. यहां की आबोहवा में सन् 1990 से 1992 तक कुछ ऐसा घट-गुजर रहा था जो ना सिर्फ गंगा-जमुनी संस्कृति को कलंकित करने वाला था, बल्कि अजमेर के सामाजिक ताने-बाने पर बदनुमा दाग बन उभर रहा था.
युवा पीढ़ी पाश्चात्य जगत के आकर्षण में ढल रही थी. शिक्षा-संस्कार और मर्यादाएं कहीं गुम हो रहे थे. समाजकंटकों और अवसरवादियों में पुलिस का भय और कानून का खौफ तो किसी डिटर्जेन्ट की धुलाई की तरह साफ हो चला था. शासन- प्रशासन से जुड़े लोग हों या समाज कंटक सब हम प्याला-हम निवाला बन बैठे थे. पद प्रतिष्ठा के साथ न्याय की कुर्सियों पर बैठने वाले हों या समाज को जागरूक करने और उचित दिशा दिखाने वाले, उनकी जवाबदेही और दायित्वों का बोध सुर-सुरा और सुंदरियों के आगे नतमस्तक था. जुआ-सट्टा खिलाने वाले, शराब-ड्रग्स का धंधा वाले पुलिस संरक्षण में फल-फूल रहे थे.
दैनिक नवज्योति अखबार में छपी खबरों से मचा गया था हंगामा
तब यहां के स्थानीय दैनिक नवज्योति अखबार में युवा रिपोर्टर संतोष गुप्ता की छापी एक खबर ने लोगों को झकझोर कर रख दिया. खबर में स्कूली छात्राओं को उनके नग्न फोटो क्लिक करके ब्लैकमेल करते हुए उनका यौन शौषण किए जाने का पर्दाफाश किया गया था.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि मणिपुर पिछले 1 साल से शांति की प्रतीक्षा कर रहा है. भागवत ने कहा कि संसद में विभिन्न मतों के बीच सहमति बनाना कठिन है, लेकिन यह आवश्यक है. उन्होंने समाज में फैल रही असत्य बातों और कलह पर भी चिंता जताई. मणिपुर में शांति लाने के लिए प्राथमिकता देने की जरूरत पर जोर दिया.