100 दिन सड़क के... राहुल का लुक बदला मगर कांग्रेस का कितना हो पाया मेकओवर?
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कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा ने अपने 100 दिन पूरे कर लिए हैं. अब ये यात्रा कांग्रेस के लिए तो मायने रखती ही है, साथ में राहुल गांधी के सियासी सफर को भी नए आयाम देने का काम करती है. सवाल ये उठता है कि जमीन पर राहुल को लेकर क्या कोई परसेप्शन बदला है, क्या कांग्रेस पहले से ज्यादा मजबूत हुई?
राहुल गांधी जब 7 सितंबर को कन्याकुमारी से हिन्दुस्तान का जन गण मन टटोलने भारत जोड़ो यात्रा पर पैदल निकले तो कांग्रेस के 'राजकुमार' की इस पदयात्रा को लेकर लोगों के मन में कई तरह की आशंकाएं थीं. 3570 किलोमीटर का सफर, मौसम का उतार-चढ़ाव, SUVs के आदी, पैदल चलना भूल चुके कांग्रेसी. कैसे करेंगे? कौन आएगा? हो पाएगा?
दरअसल, हिन्दुस्तान के उत्तर और दक्षिण सिरे को जोड़ने वाली ये दूरी ही इतनी विशाल थी कि लोगों के मन में कई सवाल उठ रहे थे. आज 16 दिसंबर को राहुल की पदयात्रा 100 दिन पूरे कर चुकी है और इस 100 दिन की 'कमाई' ने कांग्रेस कैडर में उत्साह का एक अभूतपूर्व संचार कर दिया है. अब इस यात्रा में राहुल के नाम आंकड़ों का एक ऐसा रिकॉर्ड है. जिसने राहुल गांधी को 2024 की चुनौती के लिए ठोस आधार दे दिया है.
100 दिन, 8 राज्य, 42 जिले और 2800 किलोमीटर का पैदल सफर
100 दिन, 8 राज्य (तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिशा, मध्य प्रदेश, राजस्थान), 42 जिले और 2800 किलोमीटर का पैदल सफर. भारत जोड़ो यात्रा का ये आंकड़ा किसी आसान सफर की कहानी नहीं है. 7 सितंबर को जब राहुल कन्याकुमारी की चिपचिपी गर्मी से अपना सफर शुरू कर रहे थे तब से लेकर आज तक हिन्दुस्तान का चुनावी और मौसमी माहौल बदला है. इन 100 दिनों में राहुल ने न सिर्फ मौसम के अनुकूल खुद को ढाल कर अपनी चुस्ती फुर्ती कायम रखी है, बल्कि सियासी हवा भी थोड़ी बहुत कांग्रेस के अनुकूल हुई है.
9 सिंतबर को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी (फोटो-भारत जोड़ो यात्रा)
हिमाचल की जीत कांग्रेस के लिए राहत का फुहार लेकर आई है, लेकिन गुजरात और दिल्ली की टैली अभी सवाल बन कर खड़ी है. राहुल के नेतृत्व में कांग्रेसियों का ये मोबलाइजेशन पार्टी को ऊर्जा दे गया है, जिसकी दरकार कांग्रेस को शायद 2014 से ही थी. कांग्रेस राहुल के पैन इंडिया जुड़ाव को महसूस करना चाहती थी. चुनावों में कांग्रेस को ये कामयाबी नहीं मिल रही थी. लेकिन इलेक्शन की गहमा गहमी से दूर राहुल जनता से कनेक्ट कायम करने में सफल दिख रहे हैं और उनकी छवि भी बदल रही है.
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