
'… तो कर्नाटक सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे', खींचतान के बीच पूर्व CM बसवराज बोम्मई का बयान
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कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और डिप्टी मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार कल सुबह 9.30 बजे एक साथ ब्रेकफास्ट मीटिंग करेंगे. शिवकुमार ने मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के साथ कल होने वाली ब्रेकफास्ट मीटिंग पर कहा कि हाईकमान ने हमसे बैठकर मीटिंग करने को कहा है. हम वही करेंगे, जो हाईकमान हमसे कहेगा.
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई का कहना है कि अगर कांग्रेस में सत्ता को लेकर खींचतान जारी रहती है, तो राज्य में विपक्षी पार्टी बीजेपी विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव लाने पर विचार कर सकती है. उन्होंने अनुमान जताया कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के बीच CM पद की लड़ाई के चलते इस दौड़ में कोई अप्रत्याशित दावेदार दाखिल हो सकता है.
हावेरी से बीजेपी सांसद बोम्मई ने कहा कि कांग्रेस हाईकमान ने नेतृत्व संकट को सुलझाने के लिए दो से तीन फॉर्मूले सुझाए थे. उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के पदों को लेकर आंतरिक खींचतान इसी तरह चलती रही, तो राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल के आसार बन सकते हैं. केंद्र के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने दो–तीन फॉर्मूले सुझाए हैं लेकिन दोनों नेताओं ने किसी पर भी सहमति नहीं दी. अब खबर है कि दोनों को किनारे रखकर नया फॉर्मूला तैयार किया जा रहा है. ऐसे में एक अप्रत्याशित दावेदार के रेस में उतरने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस में शीर्ष पद के लिए खींचतान तेज हो गई है और हाईकमान असहाय दिख रहा है.राज्य में शासन पूरी तरह चरमरा गया है. किसान संकट में हैं और विकास कार्य ठप पड़े हैं. दोनों नेताओं ने इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है. यदि यही स्थिति जारी रही, तो राज्य में राजनीतिक अस्थिरता की संभावना है. ऐसे में राज्य की राजनीति में कुछ भी हो सकता है.
जब उनसे पूछा गया कि क्या बीजेपी विधानसभा के बेलगावी सत्र में अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है, तो बोम्मई ने कहा कि आठ दिसंबर तक समय है. यदि ऐसी स्थिति बनती है, तो अविश्वास प्रस्ताव लाने का मौका आ सकता है.
राज्य के लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली के इस बयान पर कि विधायकों की खरीद-फरोख्त बीजेपी का काम है, कांग्रेस का नहीं. बोम्मई ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस 1969 से ही हॉर्स-ट्रेडिंग में शामिल रही है. उस समय जारकीहोली तो राजनीति में भी नहीं थे. अगर कांग्रेस का इतिहास देखें तो साफ हो जाएगा. क्या उन्हें याद नहीं कि डीके शिवकुमार ने महाराष्ट्र के सभी विधायकों को अपने पास रखकर विलासराव देशमुख को कैसे नियंत्रण में रखा था?

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