हॉस्पिटल फुल, स्ट्रेचर पर चल रहा है इलाज... UP के बांदा में मौसम का जानलेवा कहर
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उत्तर प्रदेश के बांदा में मौसम के बदले मिजाज का असर लोगों पर पड़ रहा है. दिन में सूरज की तपिश और रात में ठंडक के मौसम में अस्पताल में डायरिया के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. अस्पताल फुल हो गए हैं.
यूपी के बांदा में मौसम का बदलता मिजाज लोगों को मुश्किल में डाल रहा है. एक ओर तापमान कभी 47 के पार पहुंच जाता है तो दूसरी ओर बीच-बीच में आसमान में बदली छा जाती है. दिन में सूरज की तपिश और रात में ठंडक के मौसम में अस्पताल में डायरिया के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं.
छोटे-छोटे बच्चे भी बदलते मौसम के रोगों से बीमारी का शिकार हो रहे हैं. इन दिनों जिला अस्पताल की ओपीडी भी दो गुनी हो गई है. जिला अस्पताल में इस समय 1700 मरीज हर रोज आ रहे हैं. जहां अस्पताल के बेड्स फूल हो गए हैं. मरीज स्ट्रेचर पर इलाज कराने को मजबूर हैं. इन दिनों बदलते मौसम में वायरल फीवर के साथ डायरिया, लू से ग्रसित मरीजो की संख्या बढ़ी है.
इस मौसम में बच्चे से लगाकर बूढ़े तक... मौसमी बीमारियों से परेशान हैं. लू लगने के बाद डायरिया के साथ वायरल फीवर तेजी से बढ़ रहे हैं. डॉक्टरों के चेम्बर्स में मरीज ही मरीज दिखाई दे रहे हैं. इन दिनों प्रतिदिन जिला अस्पताल में 100 से ज्यादा मरीज भर्ती किए जा रहे हैं. 125 बेड के अस्पताल में इतने मरीज भर्ती हो रहे है कि मरीजों को बेड मिल पाना मुश्किल है. मरीज स्ट्रेचर और जमीन पर इलाज कराने को मजबूर हैं.
इस मामले में CMS डॉ. एसएन मिश्र ने बताया कि गर्मी के दिन हैं इसलिए मौसम भी बदल रहा है, जिससे वायरल के मरीज लगातार बढ़ रहे हैं. अस्पताल में एक साथ कई मरीज आ गए थे, जिससे असुविधा हुई, कई मरीज का बेंच पर इलाज हुआ, हमारे यहां बेड्स फुल हो गए थे, तुरंत खाली कराकर मरीजों को भर्ती कराया गया, हमारे यहां स्टाफ कमी है, आधे स्टाफ में जिला अस्पताल चल रहा है, मैं बेड्स बढ़ाने की प्रक्रिया कर रहा हूं.
वहीं CMS डॉ. एसएन मिश्र ने लोगों से अपील की है कि धूप से बचें, डायरिया होने पर उबला पानी पिये, बासी खाना न खाए और बाजार से मख्खियों के भिनकने वाली चीजें बिल्कुल न लें, ज्यादा दस्त होने पर ORS का घोल पिये और डॉक्टर से परामर्श लें. खासकर बच्चों को ये सलाह जरूरी है. इसका पालन जरूर करें.
जिला अस्पताल ट्रामा सेंटर के इंचार्ज डॉ. विनीत सचान ने बताया कि मौसम बदल रहा है, किसी दिन बारिश हो जाती है, किसी दिन गर्मी. इन दिनों बांदा का तापमान 45 डिग्री के ऊपर चल रहा है, जिससे बीमारियां बढ़ रही हैं. 25 से 30 बच्चों का इलाज प्रतिदिन किया जा रहा है. 1500 से लेकर 1700 की ओपीडी प्रतिदिन है.
नायडू पहली बार 1995 में मुख्यमंत्री बने और उसके बाद दो और कार्यकाल पूरे किए. मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले दो कार्यकाल संयुक्त आंध्र प्रदेश के नेतृत्व में थे, जो 1995 में शुरू हुए और 2004 में समाप्त हुए. तीसरा कार्यकाल राज्य के विभाजन के बाद आया. 2014 में नायडू विभाजित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उभरे और 2019 तक इस पद पर रहे. वे 2019 का चुनाव हार गए और 2024 तक विपक्ष के नेता बने रहे.
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