
'हामी नेपाल'... वो NGO जिसने पड़ोसी देश में प्रदर्शन को दिया बढ़ावा, यूं ही नहीं अचानक हिंसक हो गए Gen-Z प्रदर्शनकारी
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असमानता, भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया साइटों पर हालिया प्रतिबंध के खिलाफ नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत कई अन्य शहरों में छात्र ओली सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतर गए. इन हिंसक विरोध प्रदर्शनों के प्रमुख आयोजकों में से एक 'हामी नेपाल' नाम का एनजीओ था.
नेपाल की राजधानी काठमांडू और अन्य शहरों में भ्रष्टाचार, असमानता और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लगे बैन के खिलाफ बड़े पैमाने पर छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसमें कम से कम 20 लोगों की मौत हो गई. इन प्रदर्शनों के पीछे 'हामी नेपाल' नामक एनजीओ है, जिसने इंस्टाग्राम और डिस्कॉर्ड जैसे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर छात्रों को एकजुट किया. एनजीओ ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर 'हाउ टू प्रोटेस्ट' वीडियो अपलोड किए, जिसमें प्रदर्शनकारी छात्रों से कॉलेज बैग, किताबें लाने और स्कूल यूनिफॉर्म पहनने की सलाह दी गई.
प्रदर्शनकारियों ने सोमवार को एनजीओ द्वारा जारी 'यूथ्स अगेंस्ट करप्शन' का बैनर ले रखा था. स्थानीय मीडिया में अधिकारियों के हवाले से यह भी बताया गया है कि 'हामी नेपाल' ने काठमांडू में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने की परमिशन ली थी. हालांकि इन विरोध प्रदर्शनों को सरकार द्वारा रजिस्ट्रेशन रूल्स का पालन नहीं करने वाले 27 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर प्रतिबंध लगाने के खिलाफ एक प्रतिक्रिया के रूप में बताया जा रहा है. विरोध प्रदर्शनों का कोऑर्डिनेशन करने वाले सोशल मीडिया ग्रुप्स का आज तक ने रिव्यू किया, जिससे पता चलता है कि यह आंदोलन भ्रष्टाचार के खिलाफ बुलाया गया है. यह भी पता चलता है कि आयोजकों को विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा की आशंका थी.
क्या है 'हामी नेपाल'?
'हामी नेपाल' एक गैर-लाभकारी संगठन (NGO) है जो मानवीय सहायता और डिजास्टर रिस्पॉन्स जैसे कार्यों से जुड़ा है. इसे 2015 में रजिस्टर कराया गया था. एनजीओ से जुड़े सदस्य अक्सर बाढ़ और भूकंप के बाद बचाव, भोजन वितरण और जल आपूर्ति बहाली जैसे राहत कार्य करते देखे जाते हैं. अपने सोशल मीडिया पर एनजीओ ने बताया कि उसने फ्लड रेस्क्यू ट्रेनिंग और कई अन्य नागरिक परियोजनाओं के लिए नेपाल की सेना के साथ भी साझेदारी की है.

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