हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका
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यह याचिका कलकत्ता हाईकोर्ट प्रशासन ने दाखिल की है. इस मुद्दे को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में काफी हलचल है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस कोर्ट का बहिष्कार कर रखा है.
क्या किसी हाईकोर्ट( High Court) के चीफ जस्टिस (Chief Justice) या एक्टिंग चीफ जस्टिस (Acting Chief Justice) अपनी प्रशासकीय वरिष्ठता के अधिकारों से अपीलीय यानी न्यायिक अधिकारों का अति कर सकते हैं? क्या किसी पीठ में सुने जा रहे मुकदमे को बिना किसी ठोस कारण के रातों रात दूसरी पीठ के पास सुनवाई के लिए भेज सकते हैं? इन सवालों के जवाब तलाशने को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पास एक याचिका आई है. यह याचिका कलकत्ता हाईकोर्ट प्रशासन ने दाखिल की है. इस मुद्दे को लेकर कलकत्ता हाईकोर्ट में काफी हलचल है. हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने चीफ जस्टिस कोर्ट का बहिष्कार कर रखा है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने चीफ जस्टिस और एक्टिंग चीफ जस्टिस की प्रशासनिक भूमिका तय करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की है. हाईकोर्ट प्रशासन ने अपनी याचिका में सुप्रीम कोर्ट से एक विस्तृत गाइडलाइन बनाने की गुहार लगाई है. जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य के एक आदेश को चुनौती देने वाली इस याचिका में कहा गया है कि कोर्ट के सभी जजों का दर्जा बराबर होता है लेकिन चीफ जस्टिस उनमें पहले होते हैं. सामान्यतया चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर होता है और प्रशासनिक मामलों में प्रमुख भूमिका में होता है लेकिन अपीलीय मामलों में उनकी भूमिका वही रहती है जो अन्य साथी जजों की है.करीब सवा सौ गज के एक छोटे से मकान में यह अस्पताल चल रहा था. इस मकान की स्थिति ऐसी है कि वह किसी भी वक्त गिर सकता है. अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर ऑक्सीजन के सिलेंडर बिखरे मिले. इनमें से कुछ सिलेंडर के परखचे उड़े हुए थे, क्योंकि आग लगने के बाद इनमें विस्फोट हुआ था अस्पताल में लगी आग को भयावह रूप देने में इन ऑक्सीजन सिलेंडर ने भी मदद की.
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