
सुदर्शन, राफेल, द्रोण... मोदी के दौर में भारत की सुरक्षा कैसे हुई अभेद्य
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2014 में सरकार बनाने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय रक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने का काम किया है. विदेश रक्षा सौदों में ही इस सरकार में तेजी नहीं आई बल्कि रक्षा उपकरणों के स्वदेशीकरण में व्यापक बदलाव आया है.
पाकिस्तान में आतंकवादियों के ठिकानों को नेस्तनाबूद करने और भारतीय शहरों की सुरक्षा में पिछले 2 दिनों में जिस तरह लड़ाकू विमान राफेल, एयर डिफेंस सिस्टम सुदर्शन चक्र और द्रोण स्ट्राइक ने कमाल दिखाया है वह निसंदेह वर्तमान नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धियां हैं. नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने सैन्य साजो-सामान के मामले में भारतीय सेना की पूरी तस्वीर ही बदल कर रख दी है. पिछले 10 सालों में सेना को मजबूत बनाने के लिए सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए है. 2014 में सत्ता में आने के बाद से मोदी सरकार ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता ,आधुनिकीकरण, और स्वदेशी हथियारों के विकास पर विशेष जोर दिया. इन प्रयासों ने भारतीय सेना की युद्ध क्षमता, तत्परता, और वैश्विक मंच पर प्रभाव को बढ़ाया है. यही कारण है कि आज पहलगाम अटैक के बदला लेने के लिए भारतीय सेना कॉन्फिडेंस के साथ ऑपरेशन सिंदूर का अभियान चला रही है.
1-त्वरित गति से विदेशी रक्षा सौदों को दिया गया अंजाम
ऐसा नहीं है कि मोदी सरकार के पहले भारत सरकार विदेशी सैन्य साजो सामान खरीदा नहीं जाता था. पर आज से 10 साल पहले रक्षा सौदों में इतनी देरी होती थी कि हथियारों के देश में आते-आते नई रक्षा प्रणालियां मार्केट में आ जाती थीं. मोदी सरकार के आने के बाद खरीद प्रक्रिया में तेजी आई है. यही कारण रहा कि पिछले 11 सालों में बहुत तेजी से विदेशी रक्षा सौदों हुए , जिसके जरिए सेना को उन्नत तकनीक से लैस किया जा सका.
जिस सुदर्शन चक्र (S-400 वायु रक्षा प्रणाली) ने भारत के 15 शहरों में पाकिस्तान के हमलों को विफल किया है उसकी खरीद 2018 में रूस से 5.43 बिलियन डॉलर में हुआ. 2025 तक, तीन स्क्वाड्रन तैनात हो चुके हैं, जो हवाई हमलों जैसे मिसाइल और ड्रोन से सुरक्षा प्रदान करते हैं. इस सौदे के लिए देश को अमेरिका की नाराजगी भी झेलनी पड़ी थी.
मोदी के सत्ता संभालने के 2 साल बाद ही 2016 में फ्रांस से 36 राफेल जेट का सौदा 59,000 करोड़ रुपये में हुआ. ये विमान 2022 तक पूरी तरह से भारतीय वायुसेना में शामिल हो गए, जिसने वायुसेना की मारक क्षमता को बढ़ाया है.
अमेरिका से 22 AH-64 अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर और 15 CH-47F चिनूक भारी-लिफ्ट हेलीकॉप्टर खरीदे गए, जो सेना और वायुसेना की गतिशीलता और हमले की क्षमता को बढ़ाते हैं.

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