सिंधिया-सिद्धू-सचिन-जितिन... क्यों चर्चा में हैं सियासत के चार युवा चेहरे?
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कांग्रेस में राजनीतिक भविष्य नहीं दिखा तो पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और अब जितिन प्रसाद ने पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. कांग्रेस में बिखरते युवा नेतृत्व के बीच सचिन पायलट और नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी में रहते हुए अपने हक की लड़ाई बुलंद किए हुए हैं. ऐसे में सियासत के ये चार युवा चेहरे इन दिनों चर्चा के केंद्र में बने हुए हैं.
कांग्रेस से सियासी पारी का आगाज कर राजनीति में पहचान बनाने वाले युवा चेहरे तितर-बितर होने लगे हैं. कांग्रेस में राजनीतिक भविष्य नहीं दिखा तो पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया और अब जितिन प्रसाद ने पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. हालांकि, सवा साल के बाद भी सिंधिया पहले की तरह सियासी मुकाम हासिल नहीं कर सके, जिसके लिए वो बेचैन हो रहे हैं. वहीं, कांग्रेस में बिखरते युवा नेतृत्व के बीच सचिन पायलट और नवजोत सिंह सिद्धू पार्टी में रहते हुए अपने हक की लड़ाई बुलंद किए हुए हैं. ऐसे में सियासत के ये चार युवा चेहरे इन दिनों चर्चा के केंद्र में बने हुए हैं. जितिन प्रसाद की भूमिका बीजेपी में कैसी होगी? कांग्रेस के दिग्गज नेता जितेंद्र प्रसाद के बेटे व पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद पिछले लोकसभा चुनाव के समय से ही बीजेपी में जाने को तैयार थे, लेकिन प्रियंका गांधी के सियासत में आने के बाद हालात बदलने की उम्मीद में दो साल ठहर गए. पर आखिरकार अपने राजनीतिक भविष्य की खातिर विचाराधारा के सियासी आवरण को उतार फेंक बुधवार को जितिन प्रसाद ने बीजेपी का दामन थाम लिया. जितिन प्रसाद द्वारा बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने का यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह ने स्वागत किया है और उन्होंने कहा, जितिन के आने से प्रदेश में बीजेपी को मजबूती मिलेगी.आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल ने एक इंटरव्यू में दिल्ली के सीएम हाउस में उनके साथ हुई बदसलूकी के बारे में खुलकर बताया. स्वाति मालीवाल ने कहा कि विभव कुमार आए और मुझे 7-8 थप्पड़ मारे. मुझे घसीटा. इस दौरान मेरा सिर टेबल से भी जा टकराया. मैं मदद के लिए बहुत चिल्लाई लेकिन बचाने के लिए कोई नहीं आया.
स्वाति मालीवाल ने कहा, 'विभव ने मुझे 7-8 थप्पड़ पूरी जोर से मारे. जब मैंने उन्हें पुश करने की कोशिश की तो उन्होंने मेरा पैर पकड़ लिया और मुझे नीचे घसीट दिया, उसमें मेरा सिर सेंटर टेबल से टकराया. मैं नीचे गिरी और फिर उन्होंने मुझे लातों से मारना शुरू किया. मैं बहुत जोर-जोर से चीख-चीखकर हेल्प मांग रही थी लेकिन कोई मदद के लिए नहीं आया.'
राहुल गांधी लगातार जिस तरह कांग्रेस पार्टी और अपने पूर्वजों को घेर रहे हैं उससे क्या कांग्रेस का नुकसान नहीं हो रहा है? पर इसे इतने साधारण रूप में भी नहीं लिया जा सकता है. हो सकता है कि राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जितना बेहतर कम्युनिकेटर न हों, बेहतर संगठनकर्ता न हों पर ऐसा भी नहीं हैं कि उन्हें रणनीतिकार के तौर पर भी खारिज कर दिया जाए.