
'सिंघम' स्टाइल में रेस्क्यू... बाहर से ताला और अंदर काम, पड़ोसी की छत से कूदकर बचाए बच्चे
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जयपुर की भट्टाबस्ती में एक शख्स बिहार से 500-500 रुपये देकर 22 बच्चों को राजस्थान लाया. यहां वह उनसे बंद कमरे में बाल मजदूरी करवा रहा था. वो भी दिन में 18 घंटे. खाने में सिर्फ दो टाइम खिचड़ी देता था. जो बच्चा मजदूरी करने से मना करता उसकी जमकर पिटाई करता. जब इसकी सूचना एक बाल संस्था और पुलिस को मिली तो उन्होंने वहां रेड मारी और बच्चों को रेस्क्यू किया.
राजस्थान के जयपुर की मशहूर लाख की चूड़ियां या फिर इससे बने गहने किसे पसंद नहीं हैं. हर कोई महिला लाख से बने आभूषणों से खुद का श्रृंगार करना पसंद करती है. लेकिन कभी किसी ने सोचा है कि यह लाख की चूड़ियां कितनी जिंदगियां बर्बाद कर रही हैं. दरअसल, पिंक सिटी की भीतरी गलियों में बनने वाले लाख के गहनों को कोई और नहीं बल्कि छोटे-छोटे बच्चे बनाते हैं.
गहनों को बेशक बाल मजदूर बनाते हैं. लेकिन इनसे मिला मुनाफा सिर्फ मालिक को ही नसीब होता है. क्योंकि वे बाल मजदूरों को दो वक्त की रोटी भी ढंग से नहीं देते हैं. हाल ही में पुलिस को एक संस्था के माध्यम से सूचना मिली थी कि यहां एक मकान में कई बच्चों से बाल मजदूरी करवाकर उनसे लाख के गहने बनाए जा रहे हैं.
बच्चों को दूसरे राज्यों से महज 500-500 रुपये में खरीदकर यहां लाया जाता है. फिर उनसे लाख के गहने बनाने का काम करवाया जाता है. अगर कोई बच्चा काम नहीं करता है तो उसकी लाठी-डंडों और रॉड से पिटाई भी की जाती है. खाने में सिर्फ दो टाइम खिचड़ी दी जाती है.
शायद ही इस बात की किसी को भनक लग पाती. क्योंकि यह काम बंद कमरे में छुपके से करवाया जा रहा था. लेकिन सोमवार को जब कुछ बच्चों के चीखने-चिल्लाने की आवाजें आईं तो बाहर से गुजर रहे लोगों को शक हुआ. यूं तो ये आवाजें आसपास के लोगों को कई दिनों से आ रही थीं.
लेकिन तब किसी ने भी इस पर गौर नहीं किया. जब सोमवार को कुछ ज्यादा ही जोर की आवाजें आईं तो उन्होंने बचपन बचाओ आंदोलन संस्था को इसकी सूचना दी. फिर भट्टाबस्ती पुलिस को भी यह जानकारी दी गई.
आरोपी शाहनवाज और उसकी पत्नी मौके से फरार जिसके बाद संस्था के साथ भट्टाबस्ती थाना पुलिस सहित एक साथ 8 रेस्क्यू टीम ने भट्टाबस्ती इलाके में मकान पर दबिश दी. इस दौरान आरोपी मालिक ने घर के बाहर ताला लगा रखा था और अंदर पहली मंजिल पर बच्चों से बाल मजदूरी करवा रहा था.

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