
सांसद, प्रदेश अध्यक्ष, राज्यपाल और अब उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में... NDA उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन का कैसा रहा पॉलिटिकल करियर
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सीपी राधाकृष्णन का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तिरुपुर में हुआ था. सीपी राधाकृष्णन की मां जानकी अम्मा, जो अपने बेटे को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने पर खुशी से गदगद हैं उन्होंने बताया कि उनका नाम क्यों राधाकृष्णन रखा गया. वह कहती हैं कि
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इसका ऐलान करते हुए कहा कि सीपी राधाकृष्णन एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार होंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में विस्तृत विचार-विमर्श के बाद सीपी राधाकृष्णन के नाम पर मुहर लगाई गई है. उन्होंने कहा कि सीपी राधाकृष्णन वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं.
सीपी राधाकृष्णन, जिनका नाम उनकी मां ने पूर्व राष्ट्रपति राधाकृष्णन के नाम पर रखा था, वह अब भारत के उपराष्ट्रपति बनने की ओर हैं. चंद्रपुरम पोनुसामी राधाकृष्णन के पास चार दशकों का राजनीतिक अनुभव है और उन्होंने तमिलनाडु के कोंगु बेल्ट से बीजेपी को कई बार जीत दिलाई है.
सीपी राधाकृष्णन का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तिरुपुर में हुआ था. सीपी राधाकृष्णन की मां जानकी अम्मा, जो अपने बेटे को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने पर खुशी से गदगद हैं उन्होंने बताया कि उनका नाम क्यों राधाकृष्णन रखा गया. वह कहती हैं कि "मेरे पहले बेटे का नाम मुरुगन और दूसरे का नाम कृष्णा के नाम पर रखा गया. फिर उनके पिता ने मजाक में कहा कि वह डॉ. राधाकृष्णन, भारत के दूसरे राष्ट्रपति की तरह बनेगा. वह हमेशा पढ़ाई में उत्कृष्ट रहा,"
सीपी राधाकृष्णन की मां जानकी अम्मा एक प्राथमिक स्कूल की शिक्षिका रही हैं. अपने बेटे को उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में देखकर वह अब भी हैरान हैं. उन्होंने कहा "उन्होंने राजनीति में बहुत संघर्ष किया, जिसका अब फल मिला है. हमें पीएम मोदी को धन्यवाद देना चाहिए जिन्होंने उनके संघर्ष को पहचाना. सीपीआर बहुत चतुर हैं और कभी भी बेईमानी पसंद नहीं करते, वे ईमानदारी में विश्वास रखते हैं,"
सीपी राधाकृष्णन के चाचा सीके कुप्पुसामी, जो तीन बार कांग्रेस सांसद रहे, उन्होंने अपने भतीजे की प्रशंसा की. उन्होंने कहा "हमारा परिवार पिछले 25 वर्षों से राजनीति में है. सीपीआर बचपन में अपने साथियों के प्रति बहुत स्नेह रखते थे और विपक्षी दलों के सदस्यों के साथ आसानी से घुलमिल जाते थे. वे कट्टर आरएसएस अनुयायी थे. वे वाजपेयी के करीबी थे और मैं भी, और चाहता था कि वे अपना रास्ता खुद बनाएं. पीएम मोदी ने ही सीपीआर को पहचाना. उन्होंने उन्हें गवर्नर बनाया और अब उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार. हम उनके आभारी हैं,"
सीपीआर 1974 में जनसंघ के राज्य कार्यकारिणी सदस्य चुने गए थे. उन्होंने 1998 में कोयंबटूर से लोकसभा चुनाव जीता, जिसमें डीएमके के एम. रामनाथन को हराया. सीपी राधाकृष्णन तमिलनाडु से बीजेपी के उन कुछ उम्मीदवारों में से थे जिन्होंने लोकसभा चुनाव जीता, और 1998 के बम विस्फोट को उनकी जीत का एक कारक माना गया. सीपी राधाकृष्णन 2003 से 2006 तक बीजेपी के राज्य अध्यक्ष रहे.

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