
वो संधि, जिसके बाद शुरू हुई नागरिकता की लड़ाई, फिलहाल किन तरीकों से मिलती है किसी देश की सिटिजनशिप?
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हमारे पूर्वज शिकारी और घुमंतू हुआ करते थे. दाना-पानी की तलाश में भटकते हुए वे मौसम और जरूरत के मुताबिक जगह बदलते. वक्त के साथ सीमाएं बनीं. नागरिक और विदेशी का कंसेप्ट आया. जमीनों पर मालिकाना हक होने लगा. अब हाल ये है कि देश अपने यहां जन्मे बच्चों को भी नागरिकता देंगे, या नहीं, इसपर भी विवाद है.
हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने देश में बर्थराइट सिटिजनशिप खत्म करने की बात पर की. अदालत ने भले ही इस आदेश पर रोक लगा दी, लेकिन सिटिजनशिप के तौर-तरीकों पर चर्चा जरूर चल पड़ी. ट्रंप का तर्क है कि नागरिकता के इस अधिकार का गलत इस्तेमाल हो रहा है और लोग केवल बच्चों को जन्म देने अमेरिका आ रहे हैं. वहीं कोर्ट के अनुसार, जन्मजात नागरिकता को खत्म करना असंवैधानिक है.
क्या है बर्थराइट सिटिजनशिप? इसके अलावा और कौन से तरीके हैं, जिनसे नागरिकता मिलती रही.
शुरुआत से बात करें तो इंसान खाने की यहां से वहां भटकते रहते थे. शिकार के बाद फिर चलन आया खेतीबाड़ी का. साथ में पशुपालन भी होने लगा. अब लोग एक जगह बसने लगे थे. धीरे-धीरे लोगों को लगा कि उन्हें अपनी जमीन, अपने रिसोर्सेज को सेफ रखने के लिए कुछ नियम-कायदे बनाने चाहिए.
यहीं पर राज्य और राजा तैयार हुए. राज्य में रहने वाले लोग टैक्स चुकाते और बदले में उन्हें कई अधिकार मिलते. यहीं से नागरिकता का पहला बीज पड़ा. सीमाएं ज्यादा पक्की होने लगीं. सीमाओं को बढ़ाने के लिए जंग होने लगी. लिखापढ़ी भी होने लगी. बीज में अंकुर फूट चुका था.
अब आता है तीसरा फेज. ये 14वीं सदी के करीब की बात है, जब आधुनिक देश बनने लगे. इसी के साथ एक खास सीमा के भीतर रहने वाले लोग वहां के नागरिक और बाहरी लोग विदेशी कहलाने लगे. नागरिकों को कई सुविधाएं मिलने लगीं. लेकिन तब भी ये नहीं हुआ था कि लोग किसी खास क्षेत्र में बसने के लिए मारामारी करें.

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