
लखनऊ में 200 एकड़ की संपत्ति पर विकसित कर रहा था टॉउनशिप, ED-CBI के रडार पर फिर आया नंदकिशोर चतुर्वेदी
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नंदकिशोर चतुर्वेदी ने लखनऊ में 200 एकड़ की इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित करने के लिए लाइसेंस देने के लिए उसी कंपनी ट्रू लाइव होम्स प्राइवेट लिमिटेड (जिसे पहले हमसफ़र डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) का इस्तेमाल किया. हमसफ़र डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड वही कंपनी है जिसने श्रीधर पाटनकर की साईबाबा गृहनिर्मिति नामक फर्म को लोन दिया था.
ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स तीनों ही जिसकी तलाश में लगी हुई है, सामने आया है कि वह नंदकिशोर चतुर्वेदी उत्तर प्रदेश के लखनऊ में 200 एकड़ की टाउनशिप डेवलप करने की कोशिश कर रहा है. नंदकिशोर चतुर्वेदी वांछित हवाला ऑपरेटर है और इसके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर भी जारी किया गया था. हाल ही में आयकर जांच की बेनामी रोकथाम इकाई ने मामले का खुलासा किया था और चतुर्वेदी और उसके साथ जुड़े लोगों के अंडर में आने वाली कंपनियों के जरिए विकसित की जा रही 200 एकड़ की टाउनशिप की अचल संपत्तियों को पीबीपीटी (बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम), 2016 के तहत अस्थायी रूप से जब्त कर लिया.
ईडी ने ठाणे में जब्त किए थे 11 फ्लैट हैरानी की बात यह है कि चतुर्वेदी ने लखनऊ में 200 एकड़ की इंटीग्रेटेड टाउनशिप विकसित करने के लिए लाइसेंस देने के लिए उसी कंपनी ट्रू लाइव होम्स प्राइवेट लिमिटेड (जिसे पहले हमसफ़र डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता था) का इस्तेमाल किया. हमसफ़र डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड वही कंपनी है जिसने श्रीधर पाटनकर की साईबाबा गृहनिर्मिति नामक फर्म को लोन दिया था. श्रीधर पाटनकर पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना यूबीटी पार्टी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साले हैं. ईडी ने पुष्पक बुलियन और अन्य के खिलाफ मामले में मार्च 2022 में श्री साईबाबा गृहनिर्मिति प्राइवेट लिमिटेड फर्म के नीलांबरी प्रोजेक्ट ठाणे में 11 आवासीय फ्लैट जब्त किए थे.
पेपर या शेल फर्म ? ट्रू लाइव होम्स प्राइवेट लिमिटेड (पूर्व में हमसफर डीलर्स प्राइवेट लिमिटेड के रूप में जाना जाता था) को 21-07-2005 को कंपनियों को धन शोधन की सुविधा प्रदान करने के लिए कोलकाता में शामिल किया गया था. फाइनेंशियर ईयर 2005-06 में इस कंपनी का कुल कारोबार मात्र रु. 2,442/- का रहा और उसके बाद 2006-07 में मात्र 3,782/- रुपये की कुल आय हुई. हालाँकि वर्ष 2007 में, 31-03-2007 को शेयर की कीमतों में गलत वृद्धि के कारण अधिक आय हुई.
इस कंपनी का उपयोग उसके निदेशकों, प्रमोटरों और शेयरधारकों द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया गया. लगभग 46 करोड़ रुपये जब्त किए गए और इस राशि को काले धन से निकालकर कहीं और ले जाया गया. इसे इसे आनंद शर्मा नामके एंट्री ऑपरेटर ने सफेद धन बनाया था, जिसका बयान आयकर विभाग ने दर्ज कर लिया है.
नंदकिशोर चतुर्वेदी के खिलाफ क्या है ईडी की जांच

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