'रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ' क्यों लागू करना चाहती है केजरीवाल सरकार? गोपाल राय ने बताई वजह
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दिल्ली सरकार के रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ़ अभियान पर एलजी ने रोक लगा दी थी. अब दिल्ली सरकार की ओर से इसपर दोबारा फाइल भेजी गई है. मंत्री गोपाल राय के मुताबिक इस फाइल में एलजी द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब भी भेजा गया है.
दिल्ली में दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर बेहद खराब हो गया था. स्थिति इतनी खराब हो गई है कि राजधानी का वातावरण दमघोंटू सा हो गया है. अब इसी कड़ी में दिल्ली सरकार ने GRAP का तीसरा चरण लागू कर दिया गया है. पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि इस वक्त राजधानी में कंस्ट्रक्शन और डिमोलिशन पर पाबंदी है. पराली गलाने के लिए बायो डीकम्पोजर का छिड़काव हो रहा है. हालांकि व्हीकल पॉल्यूशन रोकने के लिए जो अभियान चलाना था उसपर एलजी ने रोक लगा दी थी. एलजी का कहना है कि इस तरह का प्रयोग किसी अन्य देश या शहर में नहीं हुआ है.
क्या है रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ़ अभियान?
गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से दोबारा फाइल भेज दी गई है. इसमें उनके सवालों के जवाब भी दे दिए गए हैं. दिल्ली में इमरजेंसी सिचुएशन बन रही है, ऐसे में चौतरफ़ा प्रयास ज़रूरी है. ऐसे में रेड लाइट ऑन गाड़ी ऑफ़ अभियान को मंज़ूरी मिलनी चाहिए. 2020 में जब पहली बार इस योजना की रूपरेखा बनी, उसका आधार भारत में हुई रिसर्च थी. वैज्ञानिकों की ही एक स्टडी कहती है कि अलग-अलग चौराहों पर जो रेड लाइट पर गाड़ियां खड़ी होती हैं. उस वजह से नौ फ़ीसदी से ज़्यादा प्रदूषण पैदा होता है. एक सर्वे में सामने आया कि बिना इस कैम्पन बस बीस फ़ीसदी लोग एक रेड लाइट पर अपनी गाड़ी बंद करते थे, लेकिन कैम्पेन के बाद 62 फ़ीसदी लोगों ने रेड लाइट पर गाड़ी बंद करना शुरू किया.
लन्दन, USA के उत्तरी कैरोलिना में भी ऐसा कैम्पेन चलाया जा चुका है. USA के ही सॉल्ट लेक सिटी में ऐसे कैम्पेन के बाद लोगों ने रेड लाइट पर गाड़ियां बंद करना शुरू कर दिया. गोपाल राय ने आगे कहा कि इस कैंपेन का उद्देश्य यही है कि लोगों पर इसका असर हो. हमने सभी तथ्यों के साथ एलजी को फिर से दोबारा फ़ाइल भेजी है और उम्मीद है कि फ़ैक्ट्स के आधार पर और दिल्ली के इमरजेंसी सिचुएशन को ध्यान में रखते हुए वे इसे अनुमति देंगे.
पंजाब में पराली जलाने के मामले पर केंद्र की ने नहीं की मदद
गोपाल राय ने कहा कि अगर केंद्र ने फाइनेंशियल हेल्प का हमारा प्रस्ताव माना होता तो ऐसी सिचुएशन नहीं होती. केंद्र के पीछे हटने के बाद इसमें हम आगे नहीं बढ़ सके. पंजाब में 60 लाख एकड़ में धान की खेती होती है. वहां लगातार कदम उठाए जा रहे हैं,हैप्पी सीडर किसानों को दिया जा रहा है. अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है, चार अधिकारी सस्पेंड हुए हैं. लेकिन जिस बड़े स्तर पर काम होना चाहिए था वो नहीं हो पाया क्योंकि केंद्र का सहयोग नहीं मिला.
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