
राहुल गांधी या तेजस्वी यादव - वोटर अधिकार यात्रा से कौन ज्यादा फायदे में रहा?
AajTak
वोटर अधिकार यात्रा में राहुल गांधी की मौजूदगी भारी रही, जबकि तेजस्वी साथ में खड़े नजर आए. यात्रा का तात्कालिक फायदा तो कांग्रेस के हिस्से में जा रहा है, क्या तेजस्वी यादव की आरजेडी के हिस्से में कोई दूरगामी फायदा हो सकता है?
सासाराम से शुरू होकर वोटर अधिकार यात्रा पटना पहुंचनी थी, पहुंच भी गई. और अच्छे से पहुंची भी, अगर छिटपुट घटनाओं को नजरअंदाज कर दें. ये यात्रा विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक के बैनर तले निकाली गई, और नेतृत्व कदम कदम पर राहुल गांधी के हाथ में ही दिखा. एक बार कमान तेजस्वी यादव के हाथ में भी आई थी, जब राहुल गांधी यात्रा में ब्रेक के दौरान उपराष्ट्रपति चुनाव के सिलसिले में दिल्ली लौटे थे.
कहने को तो राहुल गांधी और तेजस्वी यादव साथ में वोटर अधिकार यात्रा निकाल रहे थे, लेकिन पूरी यात्रा में राहुल गांधी ही छाये रहे. तीन साल पहले राहुल गांधी जब भारत जोड़ो यात्रा पर निकले थे, तब भी कांग्रेस की ऐसी ही मंशा थी. लेकिन, विपक्ष के कम नेताओं का ही साथ मिला. न्याय यात्रा को लेकर तो सहयोगी दल नाराज ही इसलिए थे, क्योंकि कांग्रेस ने अकेले यात्रा निकालने की घोषणा कर डाली थी - लेकिन, अब लगता है कि राहुल गांधी ने सारी कसर निकाल ली है.
बिहार के हिसाब से देखें तो तेजस्वी यादव ज्यादा तवज्जो मिलनी चाहिए थी. या कहें कि तेजस्वी यादव को भी वैसे ही मौजूदगी दर्ज करानी चाहिए थी, जैसे उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव जताते हैं. क्या तेजस्वी यादव ऐसा कर पाए? नहीं कर पाए. लेकिन, क्यों नहीं कर पाए? ये सवाल अभी बना रहेगा.
वोटर अधिकार यात्रा का बिहार विधानसभा चुनाव में कितना प्रभाव होगा, अभी कोई अंदाजा नहीं है. भीड़ कभी कभार ही वोटों में तब्दील हो पाती है. अक्सर ऐसा नहीं ही होता है. वोटर अधिकार यात्रा के पूरे सफर को देखें तो काफिला जहां से भी गुजरा, ज्यादातर जगह कांग्रेस के झंडे और राहुल गांधी के नारों की ही गूंज अधिक सुनाई दी - और ये तेजस्वी यादव के लिए अच्छी बात नहीं कही जाएगी?
बड़ा सवाल ये है कि वोटर अधिकार यात्रा से तेजस्वी यादव को मिला क्या? अगर कांग्रेस और राहुल गांधी के हिस्से से तुलना करें तो?
राहुल प्रधानमंत्री के दावेदार, और तेजस्वी?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति को रूसी भाषा में भगवद गीता का एक विशेष संस्करण भेंट किया है. इससे पहले, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति को भी गीता का संस्करण दिया जा चुका है. यह भेंट भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को साझा करने का प्रतीक है, जो विश्व के नेताओं के बीच मित्रता और सम्मान को दर्शाता है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को कई अनोखे और खास तोहफे भेंट किए हैं. इनमें असम की प्रसिद्ध ब्लैक टी, सुंदर सिल्वर का टी सेट, सिल्वर होर्स, मार्बल से बना चेस सेट, कश्मीरी केसर और श्रीमद्भगवदगीता की रूसी भाषा में एक प्रति शामिल है. इन विशेष तोहफों के जरिए भारत और रूस के बीच गहरे संबंधों को दर्शाया गया है.

चीनी सरकारी मीडिया ने शुक्रवार को राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के उन बयानों को प्रमुखता दी, जिनमें उन्होंने भारत और चीन को रूस का सबसे करीबी दोस्त बताया है. पुतिन ने कहा कि रूस को दोनों देशों के आपसी रिश्तों में दखल देने का कोई अधिकार नहीं. चीन ने पुतिन की भारत यात्रा पर अब तक आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है, लेकिन वह नतीजों पर नजर रखे हुए है.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार रात डिनर का आयोजन किया गया. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार इस डिनर में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया. इसके बावजूद कांग्रेस के सांसद शशि थरूर को बुलाया गया.

आज रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत–रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह बनी रही है. यानी दोनों देशों का संबंध एक ऐसा अटल सत्य है, जिसकी स्थिति नहीं बदलती. सवाल ये है कि क्या पुतिन का ये भारत दौरा भारत-रूस संबंधों में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है? क्या कच्चे तेल जैसे मसलों पर किसी दबाव में नहीं आने का दो टूक संकेत आज मिल गया? देखें हल्ला बोल.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर में जमा पैसा देवता की संपत्ति है और इसे आर्थिक संकट से जूझ रहे सहकारी बैंकों को बचाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने केरल हाई कोर्ट के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें थिरुनेल्ली मंदिर देवस्वोम की फिक्स्ड डिपॉजिट राशि वापस करने के निर्देश दिए गए थे. कोर्ट ने बैंकों की याचिकाएं खारिज कर दीं.







