
राहुल गांधी की बातों में कितना विरोधाभास- नरेंद्र मोदी 'तानाशाह' या 'कमजोर पीएम'?
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राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बार फिर कमजोर पीएम कहकर तंज कसा है. पर मोदी को बार-बार तानाशाह और संवैधानिक संस्थाओं को खत्म करने वाला शख्स जब उन्हें कमजोर बोलेगा तो जनता के बीच कैसी प्रतिक्रिया होगी?
H-1B वीजा शुल्क बढ़ोतरी (1,700-4,500 डॉलर) पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी को कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 'कमजोर' प्रधानमंत्री की संज्ञा दी है. राहुल ने सोशल मीडिया साइट X पर अपने 5 जुलाई 2017 की एक पोस्ट जिसमें लिखा है कि मोदी जी ट्रंप से डर गए, को रिट्वीट किया है.
राहुल गांधी ने 20 सितंबर को इसे रिट्वीट करते हुए लिखा है कि मैं दोहराता हूं कि भारत का एक कमजोर पीएम है. H-1B वीजा शुल्क 1 लाख डॉलर (88 लाख रुपये) होने को राहुल ने फिर 'कमजोर नेतृत्व' से जोड़ा. मल्लिकार्जुन खड़गे ने इसे 'ट्रंप का जन्मदिन गिफ्ट' बताया. दरअसल राहुल का तर्क है कि मोदी वैश्विक मंच पर भारत के हितों (आईटी सेक्टर, 71% H-1B भारतीयों के पास) की रक्षा नहीं कर पाए. चाबहार पोर्ट पर सैंक्शन हटाने और 50% टैरिफ जैसे ट्रंप के फैसलों पर चुप्पी को 'कमजोरी' बताया.
1-राहुल गांधी के बयानों में भ्रम की स्थिति
राहुल गांधी अपने बयानों में नरेंद्र मोदी को कभी तानाशाह बोलते रहे हैं तो कभी 'कमजोर पीएम' कह कर मजाक बनाते हैं. दरअसल वास्तव में कोई भी शख्स एक साथ किसी देश का तानाशाह और कमजोर पीएम दोनों ही नहीं सकता है. जाहिर है राहुल के यह दोनों बयान मिलकर उनके बारे में यह सोचने को मजबूर करते हैं कि नरेंद्र मोदी को लेकर उनके विचार या तो विरोधाभासी हैं या वो खुद प्रधानमंत्री की शख्सियत को समझ नहीं पा रहे हैं.
राहुल एक तरफ बार-बार दावा करते रहे हैं कि मोदी ने अपनी तानाशाही वाले रवैये के चलते संवैधानिक संस्थाओं (जैसे CBI, ED, चुनाव आयोग) को कमजोर किया. दूसरी तरफ 2017 और फिर 20 सितंबर 2025 को H-1B वीजा शुल्क बढ़ोतरी पर मोदी को 'कमजोर पीएम' कहा. यह विरोधाभास सतही लगता है, लेकिन गहराई से देखें तो यह कांग्रेस की रणनीति का हिस्सा भी हो सकता है. क्यों कि एक तानाशाह कभी कमजोर नहीं हो सकता है. और उससे भी बड़ी बात क्या एक कमजोर प्रधानमंत्री 2017-2025 के बीच देश में बड़े संवैधानिक बदलाव ला सकता है? क्या एक कमजोर प्रधानमंत्री लगातार तीन बार चुनावी जीत कर आ सकता है, क्या एक कमजोर पीएम नोटबंदी और जीएसटी में कमी आदि के फैसले ले सकता है?
2-विरोधाभास या रणनीति?

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