राष्ट्रपति चुनाव: सांसद हरे और विधायक गुलाबी रंग से डालते हैं वोट, जानें जरूरी बातें
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सभी राज्यों के विधायक अपने अपने-अपने राज्य में वोट डालेंगे. वहीं संसद के दोनों सदनों के सदस्य संसद मे वोटिंग करते हैं, लेकिन यदि कोई सांसद अपने ग्रहराज्य में किसी कारण से वोट करना चाहते हैं तो उसके लिए चुनाव अधिकारी को 10 दिन पहले बताना होता है.
देश के राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोटिंग होगी, जबकि मतगणना 21 जुलाई को होगी. इस चुनाव में कौन-कौन वोट डालेगा, कहां-कहां वोट डाले जाएंगे और एक वोट की कीमत कितनी होती है समेत राष्ट्रपति चुनाव से जुड़ी कई बारीक बातों को जानना और समझना जरूरी है. आइए जानते हैं.
सभी राज्यों के विधायक अपने अपने-अपने राज्य में वोट डालेंगे. वहीं संसद के दोनों सदनों के सदस्य संसद मे वोटिंग करते हैं, लेकिन यदि कोई सांसद अपने ग्रहराज्य में किसी कारण से वोट करना चाहते हैं तो उसके लिए चुनाव अधिकारी (राज्यसभा के महासचिव) से मतदान से 10 दिन पहले परमिशन लेनी पड़ती है.
विधायकों द्वारा राज्यों मे डाले गए वोट और सभी मतपेटियों को फ्लाइट से दिल्ली लाया जाएगा. इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि फ्लाइट में बैलेट बॉक्स को यात्रियों के रूप में बुक किया जाएगा क्योंकि सुरक्षा कारणों से उन्हें बैगेज एरिया नहीं रखा जाता है. राष्ट्रपति चुनाव में सांसद हरी कलम से और विधायक गुलाबी रंग से अपनी वरीयता दर्ज करते हैं.
पहली पसंद न बताने पर वोट रद्द
वोटिंग के लिए हर बूथ पर दो ट्रे होंगी. एक द्रौपदी मुर्मू के नाम की और दूसरी यशवंत सिन्हा के नाम की. सबसे पहले सभी मतपत्रों का सत्यापन चुनाव अधिकारी यानी राज्यसभा के महासचिव द्वारा किया जाएगा. मतपत्रों को राज्यवार लिया जाएगा और प्रत्येक उम्मीदवार को आवंटित किया जाएगा, जिसका नाम पहली वरीयता के रूप में दिखाई देता है. उदाहरण के लिए, यदि उत्तर प्रदेश का कोई विधायक मुर्मू को अपनी पहली वरीयता के रूप में चिह्नित करता है तो विधायक का मतपत्र मुर्मू की ट्रे में जाएगा. फिर इसी प्रकार संसद सदस्यों के मतपत्रों का वितरण किया जाता है. उदाहरण के लिए, यशवंत सिन्हा को अपनी पहली वरीयता के रूप में चिह्नित करने वाले सांसदों के सभी मतपत्र यशवंत सिन्हा की ट्रे में जाएंगे. पहली पसंद ना बताने पर विधायक/सांसद का वोट रद्द हो जाएगा.
सांसद के वोट का मूल्य 700 तय
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