
राधाकृष्णन पर दांव लगाकर बीजेपी ने उद्धव से स्टालिन तक की बढ़ा दी टेंशन, 4 बार हो चुकी है सेंधमारी
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उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाकर एक तीर से कई शिकार करने का दांव चला है. बीजेपी ने एक तरफ अपने समीकरण को साधने का दांव चला है तो दूसरी तरफ इंडिया ब्लॉक में सेंधमारी की भी रणनीति मानी जा रही है.
उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान कर दिया है. एनडीए उम्मीदवार के तौर पर सीपी राधाकृष्णन के नाम पर मुहर लगी है, लेकिन विपक्ष ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं. बीजेपी ने सीपी राधाकृष्णन के नाम का ऐलान कर एनडीए को एकजुट रखने के साथ-साथ विपक्षी किले में भी सेंधमारी का दांव चल दिया है.
बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राधाकृष्णन के नाम का ऐलान करते हुए कहा कि विपक्ष के साथ भी बातचीत कर उनके नाम पर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश करेंगे. एनडीए की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर राधाकृष्णन को उतारना मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है.
प्रधानमंत्री मोदी का हर एक फैसला राजनीतिक लिहाज से काफ़ी अहम होता है. ऐसे में राधाकृष्णन का चयन के पीछे बीजेपी की सोची-समझी रणनीति मानी जा रही है. सीपी राधाकृष्णन दक्षिण भारत के तमिलनाडु से आते हैं और फिलहाल महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं. इस तरह से बीजेपी ने उन्हें उम्मीदवार बनाकर डीएमके और एआईएडीएमके में सेंधमारी करने के साथ-साथ उद्धव ठाकरे की शिवसेना को भी कशमकश में डाल दिया है.
राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति चुनाव में सेंधमारी
देश में राष्ट्रपति चुनाव हो या फिर उपराष्ट्रपति का चुनाव, देखा गया है कि सत्तापक्ष ने विपक्षी खेमे में सेंधमारी करती रही है. चाहे कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूपीए का दौर रहा हो या फिर मौजूदा बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए.
यूपीए ने 2007 के राष्ट्रपति चुनाव में प्रतिभा पाटिल को उम्मीदवार बनाया था, जिनके ख़िलाफ़ एनडीए से भैरों सिंह शेखावत चुनाव लड़े थे. प्रतिभा पाटिल महाराष्ट्र की होने के नाते शिवसेना ने एनडीए गठबंधन का हिस्सा होते हुए भी यूपीए को वोट किया था. इसी तरह 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में यूपीए ने प्रणब मुखर्जी को जब उम्मीदवार बनाया था, तब भी एनडीए का हिस्सा होने के बावजूद शिवसेना और जेडीयू ने यूपीए को वोट किया था.

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