राजघराने पर लिखी प्रिंस हैरी की किताब लीक, क्यों लोगों को सीक्रेट जानने में आता है मजा!
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ब्रिटेन का शाही घराने फिर चर्चा में है. दरअसल प्रिंस हैरी ने अपनी आत्मकथा 'स्पेयर' में कई सनसनीखेज बातें लिखीं, जिसके कई हिस्से लीक हो गए. अब हर जगह चटखारे लेकर इसकी बात हो रही है. लोगों को सेलिब्रिटीज की घरेलू जिंदगी में तो दिलचस्पी होती ही है, लेकिन वे एक-दूसरे की जिंदगी में भी कम ताकझांक नहीं करते.
ब्रिटिश मानव विज्ञानी रॉबिन डन्बर ने सालों की स्टडी के बाद एक मैजिक नंबर दिया था- 150. डन्बर के मुताबिक इंसान का सोशल दायरा चाहे जितना भी बड़ा हो, वो पूरी जिंदगी में सिर्फ डेढ़ सौ लोगों से ही लगाव रख पाता है. इसे डन्बर थ्योरी कहा गया, जिसमें बताया गया कि किसी के भी सबसे करीबी लोगों में सिर्फ 5 लोग होते हैं. यही वे लोग हैं, जिनके होने या न होने से हमें फर्क पड़ता है.
दायरा बढ़ाने पर इसमें 15 लोग आ जाते हैं, जिसमें परिवार, प्रेमी, दोस्त भी शामिल हैं. सर्कल और बढ़ाया जाए तो कुल 150 लोग होते हैं, जिन्हें हम पसंद करते या किसी किस्म का लगाव रखते हैं. इसके अलावा कुल 15 सौ लोग ऐसे होते हैं, जिन्हें हम पहचानने का दावा कर सकते हैं. इसके अलावा रोजमर्रा की जिंदगी में हम चाहे कितने ही बड़े पार्टीबाज क्यों न हों, कितनों से ही क्यों न मिलें, हमें किसी से खास मतलब नहीं होता. तब क्या वजह है जो हम दूसरों, और यहां तक कि अनजान लोगों का भी दरवाजा खुला होने पर झांकने लगते हैं!
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ सोशल एंड बिहेवियरल साइंसेज ने इसपर एक स्टडी की, जिसके नतीजे जर्नल ऑफ पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी में छपे. इसके अनुसार लोगों में दूसरों के सीक्रेट जानने की इच्छा हमेशा ही होती है. चाहे फिर वो चुपके से डायरी पढ़ना हो, या फिर छिपकर बातें सुनना. इससे एक किस्म की खुशी मिलती है, जो बिल्कुल वैसा ही है जैसे डोपामाइन हार्मोन का बढ़ना.
इस खुशी की कई वजहें भी बताई गईं. जैसे इंसान अगर अपने सीक्रेट दुख की बात करे तो सुनने वाले को एक किस्म का संतोष मिलता है कि वही अकेला दुखी नहीं. या फिर कोई अगर अपने किसी डार्क सीक्रेट की बात करे तो अगला ये सोचकर खुश होता है कि मैं ही अकेला नैतिक तौर पर कमजोर नहीं.
अध्ययन में यह भी देखा गया कि कई सीक्रेट आमतौर पर एक से दूसरे तक फैलते जाते हैं. जैसे शादी में तनाव, अफेयर या यौन कमजोरी जैसे राज 30 प्रतिशत मामलों में राज नहीं रह पाते. यानी अगर आप भरोसा करके किसी एक व्यक्ति को ये बात बताएंगे तो बहुत मुमकिन है कि बात कई लोगों तक पहुंच जाए.
ये तो हुई आम लोगों की बात, लेकिन सवाल ये है कि हम उन लोगों के प्यार या घरेलू झगड़ों के बारे में क्यों जानना चाहते हैं जो हमारी पहुंच से बहुत दूर हैं. जैसे सेलिब्रिटीज का अफेयर या उनकी नाकामयाबी के किस्से जानना हमें क्यों अच्छा लगता है! इस प्रवृत्ति को वॉयेरिज्म कहते हैं. हॉलीवुड या बॉलीवुड में कौन किस हाल में है, किसका रिश्ता टूटा, या कौन किस तरह के ऊटपटांग कपड़े पहनकर आया, ये इसी मनोविज्ञान का हिस्सा है.