रांची: कोरोना महामारी में नहीं शुरू हो सका अस्पताल, HC के जज बोले- 'मुकरने के 100 बहाने हो सकते हैं'
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राज्य में बढ़ते कोरोना के मामलों के बाद भी रांची सदर अस्पताल की व्यवस्था ठीक न होने पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है. हाई कोर्ट में अस्पताल के 300 बेड चालू नहीं किए जाने के मामले में दायर अवमानना वाद याचिका पर सुनवाई की गई. इस दौरान हाई कोर्ट ने जस्टिस ने कहा कि 'मुकरने के 100 बहाने हो सकते हैं'
झारखंड की राजधानी रांची के सदर अस्पताल में व्यवस्था और कोरोना के हालात पर हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है. इसको लेकर झारखंड उच्च न्यायालय ने तल्ख टिप्पणी की. हाई कोर्ट में रांची के सदर अस्पताल में 300 बेड को ऑपरेशनल बनाने के मामले में दायर अवमानना वाद याचिका में आज सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने कहा कि 'राज्य सरकार के अधिकारियों का रवैया ठीक नहीं है, अधिकारी के भरोसे गरीबों को मरने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है, अधिकारी काम करना नहीं चाहते हैं.' इस मामले की सुनवाई कर रहे न्यायाधीश ने एक मुहावरा भी बताया. कहा कि 'मुकरने के 100 बहाने हो सकते हैं.' उन्होंने कहा कि 'अधिकारी अगर काम नहीं करना चाहते हैं तो वह बहाना बनाते हैं.' उन्हें बहाना न बना कर काम करना चाहिए, ताकि गरीबों का भला हो सके. झारखंड हाई कोर्ट के अधिवक्ता कुमार हर्ष ने बताया कि मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड सरकार के मुख्य सचिव हाई कोर्ट में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए. उन्होंने अदालत को बताया कि कार्य में प्रगति हो रही है. हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि काम में उम्मीद के मुताबिक तेजी नहीं लाई जा सकी है. इस पर अदालत ने कहा कि 'मुकरने के 100 बहाने हो सकते हैं, जो काम सरकार चाहती है, वह तो हो जाता है, लेकिन जो काम गरीब के हित में है, वह काम समय से नहीं हो पाता है.'केदारनाथ धाम यात्रा मार्ग पर 1,495 वाहनों की क्षमता वाले बीस पार्किंग स्थल स्थापित किए. उन्होंने पार्किंग प्रबंधन के लिए एक क्यूआर कोड-आधारित प्रणाली शुरू की. उन्होंने यमुनोत्री और गंगोत्री यात्रा मार्गों पर नियंत्रित वाहन आवाजाही के लिए 3-4 होल्डिंग पॉइंट बनाए. केदारनाथ मार्ग पर बेहतर यातायात प्रबंधन के लिए सेक्टर मजिस्ट्रेट तैनात किए हैं.
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