
'ये आर्थिक सुनामी...', ट्रंप के टैक्स बिल से मस्क क्यों नाराज, क्यों कह रहे 'उधार की गुलामी' की ओर जा रहा अमेरिका?
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US debt crisis: ट्रंप के रणनीतिकारों में शामिल रहे एलॉन मस्क ने राष्ट्रपति के एक बिल के बहाने अमेरिका के बढ़ते कर्ज और बजट घाटे को लेकर चेतावनी दी है, जिसे वे एक
कर्ज को लेकर पूंजीवाद के एक बड़े अर्थशास्त्री कीन्स का एक कथन गौर करने लायक है. "अगर आप पर बैंक का सौ पाउंड बकाया है, तो ये आपकी परेशानी है. लेकिन अगर आप पर दस लाख का बकाया है, तो ये समस्या बैंक की है." अमेरिका समेत दुनिया को 1929 के महामंदी से बाहर निकालने वाले कीन्स का ये कथन आज अमेरिका में सटीक लागू होता है.
आप यकीन नहीं करेंगे अगर अमेरिकी सरकार के आंकड़े आपको अमेरिकी कर्जे का हकीकत बताएंगे. अमेरिकी सरकार की संस्था यूएस ट्रेजरी के अनुसरा अमेरिका का राष्ट्रीय कर्ज आज 36 ट्रिलियन डॉलर (लगभग 3170 लाख करोड़ रुपये) के पार पहुंच चुका है. अमेरिका का कर्ज जीडीपी के मुकाबले 122 फीसदी पहुंच चुका है. यानी कि जितनी एक साल में यह देश वस्तुओं और सेवाओं का कुल जितना उत्पादन करता है उससे कहीं ज्यादा अमेरिका कर्ज लेता है.
कीन्स साफ कहते हैं कि किसी भी व्यक्ति को कर्ज अपनी औकात के अनुसार लेना चाहिए और अगर बैंक उसे गैरआनुपातिक (उसकी हैसियत से ज्यादा) रूप से कर्ज देता है तो ये बैंक की गलती है.
36 ट्रिलियन डॉलर वो आंकड़ा है जिससे शायद ही किसी का आम जिंदगी में पाला पड़ता होगा. इस बहुत भारी आंकड़े को आप आसानी से समझ सकें इसलिए आप को बता दें कि भारत की कुल अर्थव्यवस्था ही अभी 4.19 ट्रिलियन डॉलर की है. तो आप इसे ऐसे समझिए कि भारत की जितनी कुल इकोनॉमी है उसका लगभग 8 गुना अमेरिका के ऊपर कर्जा है.
थोड़ा और आसान करते हैं. 1 ट्रिलियन में 1000 बिलियन होते हैं. और भारत के संदर्भ में बात करें तो यहां 1 बिलियन डॉलर का मतलब हुआ लगभग 85 अरब रुपये.
अब आप अमेरिका की इकोनॉमी की साइज और इस पर चढ़े कर्ज का आकलन रुपये में लगा लीजिए. शायद आप हिसाब भी न लगा सकें. इस वक्त अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और इसका साइज 30.51 ट्रिलियन डॉलर है. लेकिन अमेरिका पर कर्ज 36 ट्रिलियन डॉलर है.

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