
यूपी के अस्पतालों में कबाड़ हो रहे वेंटीलेटर
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प्रदेश में सरकारी और निजी अस्पतालों में बड़ी संख्या में वेंटीलेटर डिब्बे में बंद पड़े हैं. इनको चलाने वाले स्टाफ की कमी और ऑक्सीजन की उपलब्धता न होने से गंभीर कोविड मरीजों को वेंटीलेटर का लाभ नहीं मिल पा रहा है.
कोरोना महामारी के बीच इससे दुखद क्या हो सकता है कि जब गंभीर मरीज इलाज के लिए तड़प रहे हों, वेंटीलेटर युक्त आइसीयू बेड के लिए अंतहीन इंतजार करने को विवश हों और दूसरी ओर सरकारी अस्पतालों में वेंटीलेटर रखे-रखे खराब हो रहे हों. कानपुर के सबसे बड़े अस्पताल हैलट अस्पताल को ही लीजिए. पिछले वर्ष जब कोरोना की पहली लहर के दौरान सरकार ने यहां पर डेढ़ सौ बिस्तरों को वेंटीलेटर युक्त करने की योजना बनाई थी. प्रस्ताव तैयार हुआ और बजट भी मुहैया कराया गया. पिछले साल के अंत तक 120 वेंटीलेटर हैलट अस्पताल में आ भी गए. वर्तमान में इनमें केवल 86 वेंटीलेटर ही चालू हालत में हैं. 34 वेंटीलेटर में कुछ तकनीकी खराबी होने के चलते यह शुरू नहीं हो पाए हैं. जो 86 वेंटीलेटर चालू हालत में हैं भी उनमें करीब दो दर्जन में समय-समय पर कुछ न कुछ गड़बड़ी भी सामने आ रही है. हैलट अस्पताल के जो 34 वेंटीलेटर खराब हैं उन्हें बनवाने में जीएसवीएम मेडिकल कालेज प्रशासन ने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. मेडिकल कालेज से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक खराब पड़े वेंटीलेटर की सूचना शासन और संबंधित कंपनी को भेज दी गई है. जानकारी के मुताबिक कंपनी ने वेंटीलेटर को बनाने से हाथ खड़े कर दिए हैं. मेडिकल कालेज के एक डाक्टर बताते हैं कि इन वेंटीलेटर में “ह्यूमिड फायर किट” नहीं लगी है. इसके बिना तो वेंटीलेटर को चलाया ही नहीं जा सकता है. इस किट से आक्सीजन लेते समय मरीज को नमी मिलती है जिससे उसके फेफड़े में ड्राइनेस और कंजेशन में कमी आती है. इसके अलावा कई वेंटीलेटर के साफ्टवेयर में भी गड़बड़ी है. जीएसवीएम मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. आर. बी. कमल कहते हैं, “अस्पताल में लगे वेंटीलेटर में जो खराबी आती है उसे तुरंत ठीक करवा दिया जाता है. खराब पड़े वेंटीलेटर के बारे में शासन से निर्देश लिया जाएगा.” समस्या केवल मेडिकल कालेज के हैलट अस्पताल तक ही सीमित नहीं है. कानपुर के उर्सला अस्पताल में लगे चार वेंटीलेटर आक्सीजन की कमी के चलते पर्याप्त प्रेशर न मिलने से ठीक से काम नहीं कर रहे हैं. यहां पर छह वेंटीलेटर पहले से ही खराब पड़े हैं. उर्सला अस्पताल के चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अनिल निगम कहते हैं, “आक्सीजन का पर्याप्त प्रेशर न मिलने से वेंटीलेटर के काम करने में दिक्कतें हैं.” इस दिक्कत को दूर करने के लिए उर्सला अस्पताल में इंमरजेंसी बिल्डिंकग के समीप एक आक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाया जा रहा है.
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