यूट्यूबर एल्विश यादव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत, NDPS एक्ट में हो सकती है 10 साल तक जेल
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मशहूर यूट्यूबर एल्विश यादव की मुश्किलें बढ़ती हुई दिख रही है. रविवार को नोएडा पुलिस ने पूछताछ के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया है. उनके खिलाफ आईपीसी, वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट के साथ एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है.
सांप के जहर की तस्करी के मामले में मशहूर यूट्यूबर एल्विश यादव को रविवार को गिरफ्तार कर लिया गया. नोएडा पुलिस ने इस मामले में उनको पूछताछ के लिए बुलाया था. उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मिलने के बाद पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार करके सूरजपुर कोर्ट में पेश किया. इससे पहले जिला अस्पताल में उनकी मेडिकल जांच भी कराई गई. यूट्यूबर की गिरफ्तारी के बाद उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें वो पुलिसवालों के साथ मुस्कुराते हुए दिखाई दे रहे हैं.
पिछले साल इस मामले के खुलासे के बाद नोएडा पुलिस ने यूट्यूबर एल्विश यादव सहित सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था. इसके बाद पांच लोगों की गिरफ्तारी भी हुई थी. इनके नाम राहुल, टीटूनाथ, जय करन, नारायण और रविनाथ हैं. इन पांचों की गिरफ्तारी बीजेपी नेता मेनका गांधी की एनिमल वेलफेयर संस्था पीएफ की पहल पर हुई थी. इसके बाद राहुल ने एल्विश की करतूतों के बारे में खुलासा किया था. पुलिस ने उस वक्त यूट्यूबर को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन तब गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी.
पुलिस ने नोएडा सेक्टर 49 में एल्विश यादव के खिलाफ केस दर्ज किया है. इसकी विवेचना नोएडा सेक्टर 20 की पुलिस कर रही है. इसमें यूट्यूबर के खिलाफ आईपीसी की धारा 284, 289, 120बी और वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट-1972 की धारा 9, 39, 48, 49, 50, 51 के तहत केस दर्ज हुआ है. इस मामले में आरोपियों से बरामद स्नेक बेनम को जांच के लिए भेजा गया था. वहां से मिली रिपोर्ट के बाद एनडीपीएस एक्ट की धाराएं बढ़ा दी गई है. पिछले पांच महीने से जांच कर रही पुलिस ने इस केस को मजबूत कर लिया है.
पुलिस हिरासत में एल्विश यादव भले ही हंसते हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन उनकी मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं. उनके खिलाफ जिन धाराओं में केस दर्ज किया गया है, उनमें उनको लंबी सजा मिल सकती है, जो कि सीधे तौर पर उनके करियर को प्रभावित करने वाली है. आइए इन धाराओं और उनके तहत मिलने वाली सजाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं.
एनडीपीएस एक्ट:- इसे विस्तार में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट-1985 कहते हैं. इसे 1988, 2001, 2014 और 2021 में चार बार संशोधित किया गया. इसका इस्तेमाल नशीले पदार्थों को बनाने, खरीदने-बेचने और सेवन करने वालों के खिलाफ किया जाता है. इसके तहत चरस, गांजा, अफीम, हेरोइन, कोकेन, मॉर्फीन, एलएसडी, एमएमडीए और अल्प्राजोलम आते हैं. इनमें कई ड्रग्स का इस्तेमाल दवाइयों के लिए किया जाता है. लेकिन इनका ज्यादा इस्तेमाल प्रतिबंधित है.
सजा- 10 से 20 साल तक जेल और 1 से 2 लाख रुपए तक का जुर्माना
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