महाराष्ट्र में MVA पर सांगली का संकट! टिकट को लेकर कांग्रेस-उद्धव में आर-पार की नौबत
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कांग्रेस सांगली में 1957 से लगातार जीत रही है, जिसमें 2009 भी शामिल है, जब प्रतीक पाटिल जीते थे और उन्हें यूपीए-2 शासन के दौरान मंत्री बनाया गया था. लेकिन पार्टी 2014 के बाद से यह सीट भारतीय जनता पार्टी से हार रही है. संजय काका पाटिल यहां से दो बार के सांसद हैं, जो 2014 में एनसीपी से भाजपा में शामिल हुए थे.
शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने स्पष्ट कर दिया है कि महाविकास अघाड़ी के भीतर सीट बंटवारे पर अब कोई बातचीत नहीं होगी. उद्धव ने कहा कि सांगली सीट उनकी पार्टी की है, और चंद्रहार पाटिल को यहां से उम्मीदवार घोषित किया. लेकिन कांग्रेस सांगली सीट पर समझौता करने के मूड में नहीं है. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री वसंतदादा पाटिल के पोते विशाल पाटिल सांगली से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, जिनके परिवार ने कई वर्षों तक इस सीट से चुनाव लड़ा और जीता.
एक ही सीट पर एमवीए में शामिल दो दलों के उम्मीदवार खड़े हो गए हैं. महाविकास अघाड़ी के लिए यह स्थिति चिंताजनक है. क्योंकि महाराष्ट्र की अन्य सीटों के लिए भी इससे दिक्कतें पैदा होंगी. आखिर कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) दोनों सांगली पर दावा क्यों कर रहे हैं? इसके पीछे कई कारण हैं...
कोल्हापुर कनेक्शन
समस्या कोल्हापुर सीट की वजह से पैदा हुई. शिवसेना (यूबीटी) का कहना है कि वह उन सीटों की हकदार है जिन पर उसने 2019 के लोकसभा चुनाव में लड़ाई लड़ी और जीती. उद्धव ठाकरे की पार्टी का तर्क यह है कि उसे मुंबई और कोंकण क्षेत्र के आसपास के इलाकों में अच्छा जनसमर्थन हासिल है. इस बीच, कांग्रेस ने कहा कि वह विदर्भ क्षेत्र में मजबूत है और इसलिए उसे वहां सीटें मिलनी चाहिए. इसलिए, अमरावती और रामटेक सीटें जो 2019 में शिवसेना ने लड़ीं, कांग्रेस को दे दी गईं.
शिवसेना (यूबीटी) मुंबई की 4 सीटों के अलावा कोंकण रीजन में, रत्नागिरी-सिंधुदुर्ग, रायगढ़, ठाणे, कल्याण और पालघर सीटों पर चुनाव लड़ रही है. उद्धव ठाकरे को विदर्भ में कुछ सीटों पर कांग्रेस के साथ समझौता करने में कोई आपत्ति नहीं है. कोल्हापुर सीट पर उद्धव की पार्टी चाहती थी कि कोल्हापुर शाही परिवार के मुखिया और छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज शाहू महाराज छत्रपति उसके सिंबल पर चुनाव लड़ें.
लेकिन कांग्रेस ने उन्हें आश्वस्त किया कि अगर वह कांग्रेस के टिकट पर लड़ेंगे तो उनके जीतने की संभावना बेहतर होगी. इससे शिवसेना (यूबीटी) नाराज और चिंतित हो गई. पश्चिमी महाराष्ट्र में, शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अधिकतम सीटों का दावा किया है, और शिवसेना (यूबीटी) को चिंता है कि इस क्षेत्र में उसके पास कोई अच्छी सीटें नहीं बचेंगी. इस प्रकार, उसने सांगली सीट पर अपना मजबूत दावा ठोक दिया है.
aajtak e-चुनाव के सर्वे में करीब सवा लाख लोगों ने हिस्सा लिया. इनमें से लगभग 73% लोगों ने बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को लगातार तीसरी बार सत्ता में देखने की इच्छा जताई जबकि विपक्षी इंडिया ब्लॉक को लगभग 23% वोट मिले. करीब 4 फीसदी वोट अन्य को मिले. अगर इन वोटों को सीटों में बांट दिया जाए तो एनडीए को 397 सीटें मिलने का अनुमान है.