
महाराष्ट्र में बाल ठाकरे की विरासत पर क्या अब शिंदे सेना का कब्जा हो गया है?
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हिंदू हृदय सम्राट कहे जाने वाले महाराष्ट्र के कद्दावर नेता बाल ठाकरे की विरासत उनके परिवार के हाथों से निकलती दिख रही है. उनके बेटे उद्धव ठाकरे का अपने पिता के सिद्धांतों से समझौता करना रास नहीं आया. पहले सत्ता गई फिर पार्टी भी गई हाथ से. अब पिता को विरासत पर शिंदे शिवसेना कब्जा करते दिख रही है.
महाराष्ट्र में संपन्न हुए स्थानीय निकाय चुनावों (म्यूनिसिपल काउंसिल और नगर पंचायत) के परिणामों ने राज्य की राजनीतिक में दूरगामी परिणामों की ओर इशारा कर रहे हैं. ये चुनाव महायुति गठबंधन (भाजपा, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी) की प्रचंड जीत के साथ समाप्त हुए हैं. कुल 288 निकायों में महायुति ने 215 अध्यक्ष पदों पर कब्जा जमाया, जबकि महा विकास अघाड़ी (कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना-यूबीटी, और शरद पवार की एनसीपी-एसपी) को मात्र 51 सीटों पर संतोष करना पड़ा. ये नतीजे न केवल महायुति की सत्ता की पुष्टि करते हैं, बल्कि शिवसेना के दो गुटों शिंदे सेना और यूबीटी के बीच की लड़ाई में शिंदे गुट की मजबूत स्थिति को भी दर्शाते हैं.
कुल 288 नगर परिषदों और पंचायतों में से भाजपा ने 129 पर जीत दर्ज की है और वह सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी है. महायुति ने मिलकर कुल 215 नगरीय निकायों पर कब्ज़ा किया है. भाजपा के अकेले पार्षदों की संख्या 2017 के 1602 से बढ़कर इस बार 3325 पहुंच गई. यानी, यह लगभग दोगुने से भी अधिक की वृद्धि है. यह बढ़त दिखाती है कि राज्य के शहरी और अर्ध-शहरी इलाकों में भाजपा का संगठन जमीनी स्तर पर कितना मजबूत हुआ है. मगर इन चुनावों में जो बात सबसे खास तौर पर उभर कर सामने आई है वो यह है कि बाल ठाकरे की विरासत पर उनके खानदान की बजाए उनके शिष्य का वर्चस्व कायम होता दिख रहा है.
शिंदे सेना और वर्सेस यूबीटी सेना स्ट्राइक रेट
सबसे खास बात यह रही है कि शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) का 18.5 प्रतिशत और एनसीपी (शरद पवार गुट) का 17.2 प्रतिशत स्ट्राइक रेट यह दर्शाता है कि पारंपरिक समर्थन आधार में सेंध लगी है. मतलब साफ है कि महाराष्ट्र के दो आइकॉनिक लीडर्स बाल ठाकरे और शरद पवार की विरासत उनके परिवर से बाहर जा रही है. शिवसेना यूबीटी से बेहतर स्ट्राइक रेट शिंदे शिवसेना की रही तो एनसीपी शरद पवार से बेहतर स्ट्राइक रेट अजित पवार की एनसीपी की रही.
हालांकि महायुति खेमे में भारतीय जनता पार्टी (BJP) सबसे आगे रही है. पर दूसरे नंबर पर शिंदे शिवसेना और तीसरे नंबर पर अजित पवार की एनसीपी का रहना ये संकेत देता है कि महाराष्ट्र में विरासत की राजनीति परिवारों से बाहर निकल गई है.
भाजपा का 63.1 प्रतिशत स्ट्राइक रेट यह दर्शाता है कि पार्टी ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ा, उनमें से बड़ी संख्या में जीत दर्ज की. शिवसेना (शिंदे गुट) का 54.9 प्रतिशत स्ट्राइक रेट भी बताता है कि विभाजन के बाद भी शिंदे गुट ने जमीनी स्तर पर अपनी पकड़ बनाए रखी है. वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) का 44.3 प्रतिशत स्ट्राइक रेट मध्यम प्रदर्शन को दर्शाता है, लेकिन यह भी संकेत देता है कि पार्टी का एक वर्गीय समर्थन अभी भी बरकरार है. सीधे शब्दों में आम लोग अजित पवार की एनसीपी को शरद पवार की एनसीपी के मुकाबले असली पार्टी मान रहे हैं. कांग्रेस का 25 प्रतिशत स्ट्राइक रेट बताता है कि पार्टी को स्थानीय स्तर पर संगठनात्मक चुनौतियों और नेतृत्व के संकट का सामना करना पड़ रहा है.

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