
ममता बनर्जी पर राहुल गांधी इतने मेहरबान क्यों हो गए कि अधीर रंजन की कुर्बानी दे डाली?
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अधीर रंजन चौधरी को ममता बनर्जी से लड़ाई की कीमत चुकानी पड़ी है. अधीर रंजन की छुट्टी के बाद पश्चिम बंगाल कांग्रेस के नये अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई है - अधीर रंजन से कमान ले लिया जाना बता रहा है कि राहुल गांधी को INDIA ब्लॉक में ममता बनर्जी के साथ की सख्त जरूरत महसूस हो रही है.
1999 से लगातार लोकसभा सांसद बने रहे अधीर रंजन चौधरी पर एक बार की हार ही बहुत ज्यादा भारी पड़ी है. 2019 में अधीर रंजन चौधरी को लोकसभा कांग्रेस का नेता भी बनाया गया था, और 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बना कर भेजा गया था. तभी से वो दोनो ही जिम्मेदारियों संभाल रहे थे, लेकिन चुनाव हारते ही लगता है जैसे वो सड़क पर आ गये हैं.
पश्चिम बंगाल कांग्रेस का पद छूटने से ज्यादा अधीर रंजन चौधरी खुद को हटाये जाने के तरीके से नाराज देखे जा रहे हैं. और इतने नाराज हैं कि खुल कर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर भड़ास निकाल रहे हैं.
अधीर रंजन चौधरी शुरू से ही ममता बनर्जी के कट्टर विरोधी रहे हैं, और बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष के पद से उनकी छुट्टी की वजह भी तृणमूल कांग्रेस नेता ही मानी जा रही हैं. उनके गुस्से पर प्रतिक्रिया में टीएमसी नेता कुणाल घोष ने कहा है कि ऐसा लगता है अधीर रंजन चौधरी कांग्रेस से निलंबित होना चाहते हैं... वो उकसाने की कोशिश कर रहे हैं... हो सकता है पहले ही बीजेपी से बातचीत कर रखी हो.
मौके देखकर एनडीए के दलित नेता रामदास आठवले ने अपने तरीके का सुझाव दे डाला है, 'मैं अधीर रंजन जी से अनुरोध करता हूं... अगर कांग्रेस में उनका अपमान हो रहा है तो उनको कांग्रेस छोड़ देनी चाहिये... मैं उनको एनडीए या मेरी पार्टी आरपीआई में शामिल होने के लिए आमंत्रित करता हूं.'
आगे जो भी हो, हाल फिलहाल तो अधीर रंजन चौधरी का कॅरियर बड़े ही मुश्किल दौर से गुजर रहा है. ये ठीक है कि ममता बनर्जी के साथ की राहुल गांधी को हद से ज्यादा जरूरत है, लेकिन बंगाल में टीएमसी से वो न तो निजी तौर पर सिर्फ अपने लिए लड़ रहे थे, न अपनी मर्जी से लड़ रहे थे - क्या राहुल गांधी की मर्जी के बगैर अधीर रंजन कुछ कर पाते?
आखिर अधीर रंजन पर भरोसा था तभी तो लोकसभा में नेता बनाया गया था, और फिर बंगाल चुनावों में कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी. अधीर रंजन के मुताबिक, उनके पास बंगाल कांग्रेस की मीटिंग बुलाने के लिए उनके पास फोन आया था, लेकिन उसके बाद जो हुआ उससे उनके पांव तले जमीन खिसक गई. अधीर रंजन बताते हैं, मुझे पता था कि मीटिंग मेरी अध्यक्षता में ही बुलाई गई है. उस वक्त तक मैं अध्यक्ष था, लेकिन मीटिंग की शुरुआत में जब गुलाम अहमत मीर संबोधित कर रहे थे, तो उन्होंने मुझे पूर्व अध्यक्ष के रूप में संबोधित किया... तभी पता चला कि मैं पश्चिम बंगाल का पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष बन गया हूं. कांग्रेस महासचिव गुलाम अहमद मीर पश्चिम बंगाल के कांग्रेस प्रभारी हैं.

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