ममता बनर्जी के 'मां-माटी-मानुष' में अब 'माछ' भी शामिल... जानें- बंगाल की सियासत में कितना दम रखती है मछली
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पश्चिम बंगाल की सियासत में मछली की एंट्री हो गई है. तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने अपने 'मां-माटी-मानुष' के नारे में 'माछ' को भी शामिल कर लिया गया है. ऐसे में जानते हैं कि बंगाल की राजनीति में क्या मछली सचमें सबसे बड़ा मुद्दा है?
इन दिनों देश की राजनीति में 'मछली' शब्द चर्चा में बना हुआ है. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी 'मछली' को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर हमलावर हो गईं हैं.
मछली को ममता बनर्जी ने बंगाल की अस्मिता से जोड़ दिया है और अब इसे बीजेपी के खिलाफ इस्तेमाल करने में जुट गईं हैं.
सोमवार को कूचबिहार की रैली में ममता बनर्जी ने कहा कि 'बीजेपी सुबह की चाय के साथ 'गोमूत्र' पीने को कहेगी. दोपहर के खाने के साथ 'गोबर' खाने को कहेगी. आप क्या खाते हैं? ये सब बीजेपी तय करेगी.'
इसके साथ ही तृणमूल कांग्रेस ने अपने 'मां-माटी और मानुष' के नारे में एक और 'एम' जोड़ दिया है, जिसका मतलब 'माछ' यानी मछली है.
राजनीति में कैसे हुई मछली की एंट्री?
इसकी शुरुआत हुई बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के एक वीडियो से. तेजस्वी के साथ इस वीडियो में VIP पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी भी थे. इस वीडियो में तेजस्वी मछली खाते नजर आ रहे थे.
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