मच्छरों का प्रजनन रोकने में 'प्रदूषण' और 'कोहरे' का कोई रोल नहीं, मेडिकल एक्सपर्ट्स ने कही ये खास बात
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भारत में एक आम धारणा है कि प्रदूषण और कोहरा मच्छरों के प्रजनन को रोकने में सहायक होता है. हालांकि मेडिकल एक्सपर्ट्स की राय इस पर थोड़ी अलग है. वे इसे मिथक मानते हैं, आखिर ऐसा क्यों हैं? पढ़ें ये पूरी खबर
भारत के शहरी और ग्रामीण इलाकों दोनों में ही ये विश्वास किया जाता है और यह एक आम धारणा है कि धुंध, कोहरा और वायु प्रदूषण के कारण मचछरों का प्रजनन कम हो जाता है. हालांकि मेडिकल एक्सपर्ट्स इस पर अपनी जुदा राय रखते हैं. उन्होंने कहा कि मच्छरों के प्रजनन का प्रदूषण से कोई सीधा संबंध नहीं हैं. इस बात को इस तरह से भी समझा जा सकता है, दिल्ली में हर साल डेंगू के केस हर साल बढ़ रहे हैं और प्रदूषण भी बढ़ा है. इस साल अब तक 2700 से ज्यादा डेंगू के केस रिपोर्ट हो चुके हैं. वहीं नवम्बर के पहले सप्ताह में ही 1,100 से ज्यादा डेंगू के केस रिपोर्ट हो चुके हैं. वहीं नोएडा में भी डेंगू के 500 मामले सामने आ चुके हैं. यानि साफ है कि प्रदूषण बढ़ने से मच्छरों के प्रजनन क्षमता पर कोई सीधा असर नहीं पड़ रहा है.
राजकोट के टीआरपी गेमजोन में लगी आग से 28 लोगों की जलकर मौत हो गई थी. मृतकों के शव इतनी बुरी तरह से जल गए थे कि उनकी पहचान तक मुश्किल थी. ऐसे में गेमजोन के एक मालिक की जलकर मौत होने का दावा किया गया था. इसके लिए मिले अवशेषों के डीएनए सैंपल का मिलान गेम जोन के मालिकों की मां से किया गया. इसमें से एक सैंपल मैच हुआ है. इससे यह पुष्टि की गई कि मालिक प्रकाश हिरन की भी जलकर मौत हो गई थी.
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एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.