
भोपाल गैस कांड के जहरीले कचरे को पीथमपुर में नष्ट किए जाने की तैयारी पर आपत्ति, हाईकोर्ट पहुंचा मामला
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भोपाल गैस कांड के 40 साल बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन जहरीले कचरे को इंदौर के पास पीथमपुर की एक औद्योगिक इकाई में नष्ट किए जाने की तैयारी है. हालांकि, अब इस काम पर तुरंत रोक लगाए जाने के लिए हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है.
भोपाल में हुए गैस त्रासदी के चार दशक बाद कार्बाइड फैक्ट्री से 377 मीट्रिक टन खतरनाक कचरे को हटाने की तैयारी चल रही है. इस बीच, खबर है कि इस काम पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में सोमवार को एक जनहित याचिका दायर की गई है. इस याचिका में फैक्ट्री से निकले 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को पीथमपुर की एक औद्योगिक कचरे निपटान इकाई में नष्ट किए जाने के काम पर जल्दी रोक लगाने का अनुरोध किया गया है.
न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ये जनहित यात्रा डॉक्टरों के समूह द्वारा दर्ज करवाई गई है. याचिका पर 9 जनवरी को सुनवाई हो सकती है. अभिनव पी धनोदकर ने बताया कि हमने हाईकोर्ट से एक विशेष पीठ गठित करने और इस याचिका पर तुरंत सुनवाई करने का आग्रह किया है.
लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता
याचिका में कहा गया है कि इससे पीथमपुर और इंदौर में कैंसर जैसी बीमारियां बढ़ सकती हैं. साथ ही डॉक्टरों का मानना है कि इससे सांस संबंधी समस्या भी इलाके में बढ़ सकती है. महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष डॉ. संजय लोंढे़, ऑन्कोलॉजिस्ट एसएस नायर और विनीता कोठारी ने राज्य सरकार की तैयारियों पर कई सवाल उठाए हैं और लोगों के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जताई है.
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जहरीली गैस निकलने से हजारों लोगों की जान चली गई थी मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 3 दिसंबर को फैक्ट्री से जहरीले कचरे को हटाने के लिए चार सप्ताह की समय सीमा तय की थी. अदालत ने कहा था कि गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी अधिकारी निष्क्रिय स्थिति में है, जिससे एक और त्रासदी हो सकती है.

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