भूपेश बघेल को कितनी महंगी पड़ेगी सिंहदेव की नाराजगी, कितना है सरकार पर संकट?
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छत्तीसगढ़ सरकार में नंबर दो की हैसियत रखने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता टीएस सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. माना जा रहा है कि ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद के फॉर्मूले को अमल में न लाने के चलते सिंहदेव नाराज हैं. ऐसे में यह नाराजगी बघेल सरकार के लिए कितना महंगी पड़ेगी?
कांग्रेस का संकट है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा. अब छत्तीसगढ़ में कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से इस्तीफा दे दिया है. टीएस सिंहदेव के इस कदम को छत्तीसगढ़ में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री का फॉर्मूला लागू नहीं होने से जोड़ कर देखा जा रहा है.
हालांकि, टीएस सिंहदेव ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा और जीएसटी विभाग का कार्यभार नहीं छोड़ा है. ऐसे में सिंहदेव का यह कदम भूपेश बघेल के खिलाफ बगावत है या फिर बार्गेनिंग के लिए चला गया दांव? टीएस सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्रालय से इस्तीफा ऐसे समय में दिया है, जब सूबे में सवा साल बाद विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. कांग्रेस 2018 में 15 साल बाद छत्तीसगढ़ की सत्ता में लौटी थी. लेकिन इसके बाद सत्ता पर काबिज होने को लेकर सिंहदेव और भूपेश बघेल के बीच वर्चस्व की जंग छिड़ गई थी. कहा जाता है कि ऐसे में ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री का फॉर्मूला तय हुआ था और भूपेश बघेल के सिर सत्ता का ताज सजा था.
माना जा रहा है कि सूबे में एक तरफ तो ढाई-ढाई साल मुख्यमंत्री पद का फॉर्मूला लागू नहीं हुआ और इसके उलट टीएस सिंहदेव को लगातार हाशिए पर डालने की कोशिशें भी की जाती रहीं. टीएस सिंहदेव के खिलाफ उनके ही इलाके में बघेल समर्थक विधायकों ने मोर्चा खोल रखा था. ऐसे में सिंहदेव ने पंचायत और ग्रामीण मंत्रालय से इस्तीफा दे दिया. हालांकि, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा है कि उन्हें अब तक इस्तीफा नहीं मिला है.
विधायक दल की बैठक में नहीं पहुंचे सात विधायक
गौरतलब है कि दोनों नेताओं में टकराव के बीच रविवार को सीएम आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई थी जिसमें सिंहदेव शामिल नहीं हुए थे. इतना ही नहीं कांग्रेस के 71 में से 64 विधायक ही सीएलपी की बैठक में शामिल हुए. विधायक दल की बैठक से टीएस सिंहदेव समेत कुल सात विधायकों ने किनारा कर लिया था. ऐसे में कांग्रेस के अंदर छिड़ा सियासी संग्राम भी अब सतह पर आ गया है. भूपेश बघेल के नेतृत्व वाली सरकार पर संकट भले ही नजर नहीं आ रहा, लेकिन टीएस सिंहदेव के साथ कांग्रेस के और विधायक भी जुड़ते हैं तो खतरा गहरा सकता है.
बता दें कि कांग्रेस विधायक दल की बैठक 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव और 20 जुलाई से शुरू होने वाले राज्य विधानसभा के मॉनसून सत्र पर चर्चा के लिए बुलाई गई थी. इस बैठक में न तो सिंहदेव शामिल हुए और न ही भूपेश बघेल से कोई बात की. हालांकि, वह राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना वोट डालने के लिए सोमवार को रायपुर पहुंच सकते हैं. कृषि मंत्री रवींद्र चौबे ने रविवार की रात कहा कि जिस तरह से सिंहदेव ने मुख्यमंत्री को इस्तीफा लिखा है, उससे कांग्रेस के ज्यादातर विधायक आहत हैं.
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