भारत में समलैंगिक शादी को मिलेगी मान्यता? सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों की संविधान पीठ का गठन
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कुछ दिनों पहले ही सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई 5 जजों की संविधान पीठ के समक्ष किए जाने की सिफारिश की थी. सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा था कि यह मौलिक मुद्दा है.
समलैंगिक शादी को मान्यता देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संविधान पीठ का गठन कर दिया है. CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच मामले की सुनवाई करेगी. दरअसल, समलैंगिक विवाह यानी Same Sex Marriage को कानूनी मान्यता देने की गुहार वाली 15 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई थीं.
इन याचिकाओं पर कुछ दिनों पहले ही सुनवाई के लिए चीफ जस्टिस की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने इस मामले पर सुनवाई 5 जजों की संविधान पीठ के समक्ष किए जाने की सिफारिश की थी. सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा था कि यह मौलिक मुद्दा है. हमारे विचार से यह उचित होगा कि संविधान की व्याख्या से जुड़े इस मामले को 5 जजों की पीठ के सामने संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के आधार पर फैसले के लिए भेजा जाए.
वहीं मुस्लिम संगठनों ने मान्यता देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. पहले जमीयत उलेमा-ए-हिंद और फिर मुस्लिम निकाय ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मुखालिफत की थी. तेलंगाना मरकजी शिया उलेमा काउंसिल ने समलैंगिक विवाह का विरोध करते हुए कहा था कि यह समलैंगिक विवाह की अवधारणा ही पश्चिमी भोगवादी संस्कृति का हिस्सा है. भारत के सामाजिक ताने-बाने के लिए यह विचार अनुपयुक्त है.

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